सनातन को समाप्त करने का स्वप्न पाले ना जाने कितने आये और चले गये
इस पवित्र भूमि में बहती नदियों ने, लहराते सागर ने और ऊँचे पर्वतों ने ऐसे ना जाने कितने अहंकारियों के साम्राज्य को मिट्टी में मिलते हुए देखा है
स्टालिन पुत्र का बड़बोलापन हास्यास्पद है
ये आसमान की तरफ़ थूकने की मूर्खतापूर्ण कोशिश है
राहुल गांधी के ऐसे मित्र है तो उन्हें किसी शत्रु की आवश्यकता ही नहीं
इस पवित्र भूमि में बहती नदियों ने, लहराते सागर ने और ऊँचे पर्वतों ने ऐसे ना जाने कितने अहंकारियों के साम्राज्य को मिट्टी में मिलते हुए देखा है
स्टालिन पुत्र का बड़बोलापन हास्यास्पद है
ये आसमान की तरफ़ थूकने की मूर्खतापूर्ण कोशिश है
राहुल गांधी के ऐसे मित्र है तो उन्हें किसी शत्रु की आवश्यकता ही नहीं
सनातन को समाप्त करने का स्वप्न पाले ना जाने कितने आये और चले गये
इस पवित्र भूमि में बहती नदियों ने, लहराते सागर ने और ऊँचे पर्वतों ने ऐसे ना जाने कितने अहंकारियों के साम्राज्य को मिट्टी में मिलते हुए देखा है
स्टालिन पुत्र का बड़बोलापन हास्यास्पद है
ये आसमान की तरफ़ थूकने की मूर्खतापूर्ण कोशिश है
राहुल गांधी के ऐसे मित्र है तो उन्हें किसी शत्रु की आवश्यकता ही नहीं
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