अयोध्या में बालक राम की प्राण प्रतिष्ठा से 500 वर्ष की ग़ुलामी समाप्त हुई।
लेकिन इस पावन पर्व के अवसर पर असम के कुछ बुद्धिजीवियों का कहना था कि प्रभु राम का असमिया संस्कृति में कोई विशेष स्थान नहीं है। उन लोगों से मैं कहना चाहता हूँ कि वे श्रीमंत शंकरदेव के विचार पढ़े और समझे कि प्रभु राम कैसे असम की सभ्यता से जुड़े हुए हैं।
📍श्रीमंत शंकरदेव संघ अधिवेशन
Himanta Da
लेकिन इस पावन पर्व के अवसर पर असम के कुछ बुद्धिजीवियों का कहना था कि प्रभु राम का असमिया संस्कृति में कोई विशेष स्थान नहीं है। उन लोगों से मैं कहना चाहता हूँ कि वे श्रीमंत शंकरदेव के विचार पढ़े और समझे कि प्रभु राम कैसे असम की सभ्यता से जुड़े हुए हैं।
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अयोध्या में बालक राम की प्राण प्रतिष्ठा से 500 वर्ष की ग़ुलामी समाप्त हुई।
लेकिन इस पावन पर्व के अवसर पर असम के कुछ बुद्धिजीवियों का कहना था कि प्रभु राम का असमिया संस्कृति में कोई विशेष स्थान नहीं है। उन लोगों से मैं कहना चाहता हूँ कि वे श्रीमंत शंकरदेव के विचार पढ़े और समझे कि प्रभु राम कैसे असम की सभ्यता से जुड़े हुए हैं।
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