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  • साबिर नाम है मेरा
    उमर मस्जिद के पास रहता हूं
    जिसको जो उखाड़ना हो उखाड़ लो

    मेरा बस चले तो मोदी-योगी को मैं उड़ा दूं।

    अभी हम मुसलमान चुप हैं, जिस दिन अपने पर आ गए सबको तबाह कर देंगे।

    हमारी सरकार जब आएगी तब देखेंगे कौन बोलता है।

    मोदी की सरकार जाने दो सारे हिन्दुओ को खत्म कर देंगे।

    जिस दिन हमारी सरकार आ गयी सबको मिटा देंगे।

    लॉकडाउन लगाया गया था केवल मंदिर बनाने के लिए।
    साबिर नाम है मेरा उमर मस्जिद के पास रहता हूं जिसको जो उखाड़ना हो उखाड़ लो मेरा बस चले तो मोदी-योगी को मैं उड़ा दूं। अभी हम मुसलमान चुप हैं, जिस दिन अपने पर आ गए सबको तबाह कर देंगे। हमारी सरकार जब आएगी तब देखेंगे कौन बोलता है। मोदी की सरकार जाने दो सारे हिन्दुओ को खत्म कर देंगे। जिस दिन हमारी सरकार आ गयी सबको मिटा देंगे। लॉकडाउन लगाया गया था केवल मंदिर बनाने के लिए।
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  • Alarming!!
    यह जो कहा जा रहा है कि बीजेपी अयोध्या में हार गई बीजेपी बद्रीनाथ में हार गई इसके पीछे उनकी कितनी बड़ी साजिश है यह आप वीडियो देखिए जो पिछले साल का है

    जब वृंदावन में यूपी एसटीएफ ने छापा मार कर 300 से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया

    जिन्हें यहां सिर्फ इसलिए बसाया गया था ताकि यह हिंदू तीर्थ स्थल की डेमोग्राफी बदल सके

    उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड पूरे प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या को पकड़ रही है

    सबसे बड़ा आश्चर्य कि मुस्लिम बहुल इलाके जैसे बरेली मुरादाबाद संभल मुजफ्फरनगर में रोहिंग्या नहीं मिल रहे वही मथुरा में 300 और वृंदावन में भी 300 रोहिंग्या पकड़े गए

    सोचिए हिंदू धार्मिक स्थलों की डेमोग्राफी बदलने की कितनी खतरनाक साजिश चल रही है

    रोहिंग्या को बांग्लादेश के कॉक्स बाजार शरणार्थी कैंप से बॉर्डर पार कराकर को कोलकाता लाया जा रहा है फिर कोलकाता से उन्हें अयोध्या वृंदावन मथुरा द्वारिका जैसे हिंदू धार्मिक स्थलों पर बसाने का काम कोई बाहरी एजेंसी नहीं बल्कि भारत की ही इस्लामिक संस्थाएं कर रही है
    Alarming!! यह जो कहा जा रहा है कि बीजेपी अयोध्या में हार गई बीजेपी बद्रीनाथ में हार गई इसके पीछे उनकी कितनी बड़ी साजिश है यह आप वीडियो देखिए जो पिछले साल का है जब वृंदावन में यूपी एसटीएफ ने छापा मार कर 300 से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया जिन्हें यहां सिर्फ इसलिए बसाया गया था ताकि यह हिंदू तीर्थ स्थल की डेमोग्राफी बदल सके उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड पूरे प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या को पकड़ रही है सबसे बड़ा आश्चर्य कि मुस्लिम बहुल इलाके जैसे बरेली मुरादाबाद संभल मुजफ्फरनगर में रोहिंग्या नहीं मिल रहे वही मथुरा में 300 और वृंदावन में भी 300 रोहिंग्या पकड़े गए सोचिए हिंदू धार्मिक स्थलों की डेमोग्राफी बदलने की कितनी खतरनाक साजिश चल रही है रोहिंग्या को बांग्लादेश के कॉक्स बाजार शरणार्थी कैंप से बॉर्डर पार कराकर को कोलकाता लाया जा रहा है फिर कोलकाता से उन्हें अयोध्या वृंदावन मथुरा द्वारिका जैसे हिंदू धार्मिक स्थलों पर बसाने का काम कोई बाहरी एजेंसी नहीं बल्कि भारत की ही इस्लामिक संस्थाएं कर रही है
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  • शबरी राम की पूजा करती थी

    शबरी बेर बेच नहीं रही थी

    शबरी ने राम से अपना नाम और पहचान नहीं छिपाई

    मां शबरी के नाम पर मो. शब्बीर की दुकान नहीं चलने देंगे

    झूठा नाम बताकर धोखा देकर थूक मिला खाना बेचने की संवैधानिक आज़ादी ही असली धर्म निरपेक्षता है
    शबरी राम की पूजा करती थी शबरी बेर बेच नहीं रही थी शबरी ने राम से अपना नाम और पहचान नहीं छिपाई मां शबरी के नाम पर मो. शब्बीर की दुकान नहीं चलने देंगे झूठा नाम बताकर धोखा देकर थूक मिला खाना बेचने की संवैधानिक आज़ादी ही असली धर्म निरपेक्षता है
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  • रात दिन हिंदुओं की जाति , उपजाति की गणना की बात करने वाले , एक एक पहचान को अलग अलग करके इसी आधार पर राजनीति करने वाले

    दुकान के बाहर पहचान लिखने के नाम पर कीड़ो की तरह बिलबिलाने क्यों लगे ?

    पहचान छिपाने के पीछे कौन सा विषैला मक़सद है?

    कुछ राजनीतिक दल उस विषैले मक़सद के समर्थन में क्यों ?
    रात दिन हिंदुओं की जाति , उपजाति की गणना की बात करने वाले , एक एक पहचान को अलग अलग करके इसी आधार पर राजनीति करने वाले दुकान के बाहर पहचान लिखने के नाम पर कीड़ो की तरह बिलबिलाने क्यों लगे ? पहचान छिपाने के पीछे कौन सा विषैला मक़सद है? कुछ राजनीतिक दल उस विषैले मक़सद के समर्थन में क्यों ?
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  • लॉन्ग टर्म प्रॉपर्टी टैक्स कम हुआ ... !!!

    अब तक लांग टर्म में रियलएस्टेट की बिक्री पर इंडेक्सेशन प्रणाली के तहत लॉन्ग टर्म गेन पर 20 प्रतिशत का टैक्स लगता था, अब इस बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन के तहत संपत्ति बिक्री पर इंडेक्सेशन को हटाया गया है और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को घटाकर 12.5 प्रतिशत किया गया है।

    अभी तक इंडेक्सेशन प्रणाली के तहत महंगाई दर को समायोजित करने के बाद प्रापर्टी की तय होती थी। मान लीजिए वर्ष 2014-15 में 100 रुपये में किसी प्रापर्टी को खरीदा गया था। वर्ष 2024-25 में कास्ट आफ इंफ्लेशन इंडेक्स (सीआइआइ) 363 है जो वित्त वर्ष 2014-15 में 240 था। इस हिसाब से इस साल 100 रुपये में खरीदी गई उस प्रापर्टी की इंडेक्सेशन कास्ट 151 रुपये बनती है।

    अगर 100 रुपये की उस प्रापर्टी को अभी 800 रुपये में बेचते हैं तो इंडेक्सेशन कास्ट 151 रुपए घटाने अन्य पर कैपिटलगेन 649 रुपए बनता है और 20 प्रतिशत की दर से उस पर 129 रुपए का लॉन्गटर्म कैपिटल गेन टैक्स बना। वहीं अगर नई प्रणाली के तहत उस प्रापर्टी की बिक्री 800 में करने पर 700 रुपये पर 12.5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा और उस पर 87.5 रुपये का कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, जो कि पुरानी व्यवस्था की टैक्स राशि से 42 रुपये कम है। इस तरह नई व्यवस्था में 32.6 प्रतिशत टैक्स की बचत हो रही है।
    लॉन्ग टर्म प्रॉपर्टी टैक्स कम हुआ ... !!! अब तक लांग टर्म में रियलएस्टेट की बिक्री पर इंडेक्सेशन प्रणाली के तहत लॉन्ग टर्म गेन पर 20 प्रतिशत का टैक्स लगता था, अब इस बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन के तहत संपत्ति बिक्री पर इंडेक्सेशन को हटाया गया है और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को घटाकर 12.5 प्रतिशत किया गया है। अभी तक इंडेक्सेशन प्रणाली के तहत महंगाई दर को समायोजित करने के बाद प्रापर्टी की तय होती थी। मान लीजिए वर्ष 2014-15 में 100 रुपये में किसी प्रापर्टी को खरीदा गया था। वर्ष 2024-25 में कास्ट आफ इंफ्लेशन इंडेक्स (सीआइआइ) 363 है जो वित्त वर्ष 2014-15 में 240 था। इस हिसाब से इस साल 100 रुपये में खरीदी गई उस प्रापर्टी की इंडेक्सेशन कास्ट 151 रुपये बनती है। अगर 100 रुपये की उस प्रापर्टी को अभी 800 रुपये में बेचते हैं तो इंडेक्सेशन कास्ट 151 रुपए घटाने अन्य पर कैपिटलगेन 649 रुपए बनता है और 20 प्रतिशत की दर से उस पर 129 रुपए का लॉन्गटर्म कैपिटल गेन टैक्स बना। वहीं अगर नई प्रणाली के तहत उस प्रापर्टी की बिक्री 800 में करने पर 700 रुपये पर 12.5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा और उस पर 87.5 रुपये का कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, जो कि पुरानी व्यवस्था की टैक्स राशि से 42 रुपये कम है। इस तरह नई व्यवस्था में 32.6 प्रतिशत टैक्स की बचत हो रही है।
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  • Do you know, overseas professionally run vineyard make more revenue from tourism then selling wine

    So why not monetise your fruit orchard with touch of local life. We have plenty of them from Orange, leechi, Mango and what not

    Why wasting your farm and missing this global change in tourism industry

    चलो ना.....जी ले कुछ इस कदर, कि लगे जैसे
    जिन्दगी हमें नहीं, जिन्दगी को हम मिल गये हैं
    Do you know, overseas professionally run vineyard make more revenue from tourism then selling wine So why not monetise your fruit orchard with touch of local life. We have plenty of them from Orange, leechi, Mango and what not Why wasting your farm and missing this global change in tourism industry चलो ना.....जी ले कुछ इस कदर, कि लगे जैसे जिन्दगी हमें नहीं, जिन्दगी को हम मिल गये हैं
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  • जयजय सीताराम ।
    जयजय सीताराम ।
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  • चार केले खिलाने हैं तो सर पर टोपी लगाकर पहचान दिखाकर खिलाओगे...❓️

    लेकिन जब 400 लोगों को सामान बेचना होगा तो अपनी पहचान नहीं बताओगे...👎
    चार केले खिलाने हैं तो सर पर टोपी लगाकर पहचान दिखाकर खिलाओगे...❓️ लेकिन जब 400 लोगों को सामान बेचना होगा तो अपनी पहचान नहीं बताओगे...👎
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  • Samaj rahe ** na Binod!
    किसी भी दुकानदार से समान खरीदने से पहले ही QR कोड को Scan जरूर से कर लेना चाहिए एक बार ताकि बाद में UPI से पेमेंट करते समय कोई परेशानी न हो और यदि दुकांदार Cash पेमेंट पर जोर दे तो उससे बचना चाहिए क्योंकि Black Money को कैश से बढ़ावा मिलता है।
    Samaj rahe ho na Binod! किसी भी दुकानदार से समान खरीदने से पहले ही QR कोड को Scan जरूर से कर लेना चाहिए एक बार ताकि बाद में UPI से पेमेंट करते समय कोई परेशानी न हो और यदि दुकांदार Cash पेमेंट पर जोर दे तो उससे बचना चाहिए क्योंकि Black Money को कैश से बढ़ावा मिलता है।
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  • क्या आप हलाल जानते हैं?
    ---
    यह सवाल मैंने एक मित्र से पूछा जो बहुत दुखी था कि कुछ दुकानदार भगवा झंडा क्यों लगा रहे हैं। वो "Ashamed as a Hindu" महसूस कर रहा था।

    ऐसा दुख अक्सर उन लोगों को होता है जिनको न तो अपने इतिहास का पता हो न वर्तमान का। थूक और पेशाब लगाकर फल, सब्ज़ियाँ बेचने की तस्वीरें आना जारी है। लेकिन लोगों के दिमाग़ में बचपन से भर दिया जाता है कि "मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर करना"। इसलिए वो बैर करने से बचना चाहते है। लेकिन उनको नहीं पता कि वो ख़ुद किस मजहबी घृणा का शिकार हो रहे हैं। इस पोस्ट के साथ तस्वीर आशीर्वाद आटे की है। आटा गेहूं पीसकर बनता है। लेकिन यह आटा हलाल सर्टिफ़ाइड है।

    यानी इसे शरीयत के मुताबिक़ बनाया गया है। आटा ही नहीं, अब लगभग हर सामान हलाल होने लगा है। यहां तक कि दवाएं और अस्पताल भी। हमारे मुस्लिम भाई यह लेबल देखकर ही कोई भी चीज ख़रीदते हैं। दुनिया भर की कंपनियाँ यह सर्टिफिकेट लेने को मजबूर हैं।

    क्योंकि ऐसा नहीं करेंगी तो मुस्लिम उनका प्रोडक्ट ख़रीदना बंद कर देंगे। इसे ही आर्थिक बहिष्कार कहा जाता है। इसी के आरोप में इन दिनों पूरे देश में हिंदुओं को जेलों में ठूँसा जा रहा है।

    फिर भी कुछ लोग कहेंगे कि क्या फ़र्क़ पड़ता है कि आटा हलाल सर्टिफ़ाइड है? है तो आटा ही। लेकिन ऐसा नहीं है। भारत में यह सर्टिफिकेट सरकार नहीं, बल्कि जमीयत उलेमा ए हिंद जैसे इस्लामी संगठन देते हैं। इसके बदले में वो कंपनियों से मोटी रक़म वसूलते हैं। कंपनियां इसका पैसा ग्राहकों से लेती हैं।

    हममें से ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होगा कि आतंकवाद के ज्यादातर आरोपियों के मुकदमे का खर्चा जमीयत उठाती है। कमलेश तिवारी की गर्दन काटने वालों का मुकदमा भी जमीयत ही लड़ रही है। और हम उसे इसके लिए पैसा दे रहे हैं। मैकडोनल्ड्स, केएफसी ही नहीं, एअर इंडिया, IRCTC, ITDC भी हलाल मीट परोसते हैं। जिसके चलते लाखों हिंदू मांस व्यापारियों का कारोबार बंद हो चुका है। ये लोग एससी-एसटी जातियों के थे। लेकिन उनके लिए किसी ने आवाज नहीं उठाई। हलाल के नाम पर सेकुलर देश में हिंदुओं पर जजिया लगा हुआ है और हमें पता तक नहीं।

    वक्त रहते विचार कर लेना हितकारी है अन्यथा जो होना है वह तय है🙏
    क्या आप हलाल जानते हैं? --- यह सवाल मैंने एक मित्र से पूछा जो बहुत दुखी था कि कुछ दुकानदार भगवा झंडा क्यों लगा रहे हैं। वो "Ashamed as a Hindu" महसूस कर रहा था। ऐसा दुख अक्सर उन लोगों को होता है जिनको न तो अपने इतिहास का पता हो न वर्तमान का। थूक और पेशाब लगाकर फल, सब्ज़ियाँ बेचने की तस्वीरें आना जारी है। लेकिन लोगों के दिमाग़ में बचपन से भर दिया जाता है कि "मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर करना"। इसलिए वो बैर करने से बचना चाहते है। लेकिन उनको नहीं पता कि वो ख़ुद किस मजहबी घृणा का शिकार हो रहे हैं। इस पोस्ट के साथ तस्वीर आशीर्वाद आटे की है। आटा गेहूं पीसकर बनता है। लेकिन यह आटा हलाल सर्टिफ़ाइड है। यानी इसे शरीयत के मुताबिक़ बनाया गया है। आटा ही नहीं, अब लगभग हर सामान हलाल होने लगा है। यहां तक कि दवाएं और अस्पताल भी। हमारे मुस्लिम भाई यह लेबल देखकर ही कोई भी चीज ख़रीदते हैं। दुनिया भर की कंपनियाँ यह सर्टिफिकेट लेने को मजबूर हैं। क्योंकि ऐसा नहीं करेंगी तो मुस्लिम उनका प्रोडक्ट ख़रीदना बंद कर देंगे। इसे ही आर्थिक बहिष्कार कहा जाता है। इसी के आरोप में इन दिनों पूरे देश में हिंदुओं को जेलों में ठूँसा जा रहा है। फिर भी कुछ लोग कहेंगे कि क्या फ़र्क़ पड़ता है कि आटा हलाल सर्टिफ़ाइड है? है तो आटा ही। लेकिन ऐसा नहीं है। भारत में यह सर्टिफिकेट सरकार नहीं, बल्कि जमीयत उलेमा ए हिंद जैसे इस्लामी संगठन देते हैं। इसके बदले में वो कंपनियों से मोटी रक़म वसूलते हैं। कंपनियां इसका पैसा ग्राहकों से लेती हैं। हममें से ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होगा कि आतंकवाद के ज्यादातर आरोपियों के मुकदमे का खर्चा जमीयत उठाती है। कमलेश तिवारी की गर्दन काटने वालों का मुकदमा भी जमीयत ही लड़ रही है। और हम उसे इसके लिए पैसा दे रहे हैं। मैकडोनल्ड्स, केएफसी ही नहीं, एअर इंडिया, IRCTC, ITDC भी हलाल मीट परोसते हैं। जिसके चलते लाखों हिंदू मांस व्यापारियों का कारोबार बंद हो चुका है। ये लोग एससी-एसटी जातियों के थे। लेकिन उनके लिए किसी ने आवाज नहीं उठाई। हलाल के नाम पर सेकुलर देश में हिंदुओं पर जजिया लगा हुआ है और हमें पता तक नहीं। वक्त रहते विचार कर लेना हितकारी है अन्यथा जो होना है वह तय है🙏
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  • जय सूर्यदेव।
    जय सूर्यदेव।
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  • X, फेसबुक और व्हाट्सएप अपने प्रचंण्ड क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है...
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    हर नौसिखिया क्रांति करना चाहता है...
    कोई बेडरूम में लेटे-लेटे गौहत्या करने वालों को सबक सिखाने की बातें कर रहा है तो...
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    किसी के इरादे सोफे पर बैठे-बैठे मँहगाई, बेरोजगारी या बांग्लादेशियों को उखाड़ फेंकने के हो रहे हैं...
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    हफ्ते में एक दिन नहाने वाले लोग स्वच्छता अभियान की खिलाफत और समर्थन कर रहे हैं।
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    अपने बिस्तर से उठकर एक गिलास पानी लेने पर नोबेल पुरस्कार की उम्मीद रखने वाले बता रहे हैं कि माँ-बाप की सेवा कैसे करनी चाहिए।
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    जिन्होंने आजतक बचपन में कंचे तक नहीं जीते वे बता रहे हैं कि भारत रत्न किसे मिलना चाहिए!
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    जिन्हें "गली-क्रिकेट" में इसी शर्त पर खिलाया जाता था कि बॉल कोई भी मारे पर अगर नाली में गई तो निकालना तुझे ही पड़ेगा वो आज कोहली को समझाते पाए जाएँगे कि उसे कैसे खेलना है।
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    कई मर्द ऐसे हैं जिन्होंने देश में महिलाओं की कम जनसंख्या को देखते हुए अपनी नकली ID बनाकर जनसंख्या को बराबर कर दिया है।
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    जिन्हें यह तक नहीं पता कि हुमायूं, बाबर का कौन था? वह आज बता रहे हैं कि किसने कितनों को काटा था ।
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    कुछ दिन भर शायरियाँ पेलेंगे जैसे 'गालिब' के असली उस्ताद तो यहीं बैठे हैं !
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    जो नौजवान एक बालतोड़ हो जाने पर रो-रो कर पूरे मोहल्ले में हल्ला मचा देते हैं वे देश के लिए सर कटा लेने की बात करते दिखेंगे!
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    .
    किसी भी पार्टी का समर्थक होने में समस्या यह है कि...
    "भाजपा" समर्थक को अंधभक्त...
    "आप" समर्थक उल्लू...
    तथा "कांग्रेस"समर्थक बेरोजगार... करार दे दिये जाते हैं!
    .
    .
    कॉपी-पेस्ट करनेवालों के तो कहने ही क्या !
    किसी की भी पोस्ट चेंप कर ऐसे व्यवहार करेंगे जैसे साहित्य की गंगा उनके घर से ही बहती है...और वो भी 'अवश्य पढ़े' तथा 'मार्केट में नया है' की सूचना के साथ।
    .
    .
    एक कप दूध पी लें तो दस्त लग जाएँ, ऐसे लोग हेल्थ की tips दिए जा रहे हैं।
    .
    .
    लेकिन समाज के असली जिम्मेदार नागरिक हैं: "टैगिए"...
    इन्हें ऐसा लगता है कि जब तक ये गुड मॉर्निंग वाले पोस्ट पर टैग नहीं करेंगे तब तक लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि सुबह हो चुकी है !
    .
    .
    जिनकी वजह से शादियों में गुलाबजामुन वाले स्टॉल पर एक extra आदमी खड़ा रखना जरूरी है वो आम बजट पर टिप्पणी करते हुए पाए जाते हैं...!
    .
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    कॉकरोच देखकर चिल्लाते हुये पूरे मोहल्ले में भागने वाले पाकिस्तान को धमका रहे होते हैं कि "अब भी वक्त है सुधर जाओ"!
    .
    .
    क्या वक्त आ गया है वाकई ।
    धन्य हैं व्हाट्सएप, फेसबुक और X युग के क्रांतिकारी...!!!
    Dr GP
    X, फेसबुक और व्हाट्सएप अपने प्रचंण्ड क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है... . . हर नौसिखिया क्रांति करना चाहता है... कोई बेडरूम में लेटे-लेटे गौहत्या करने वालों को सबक सिखाने की बातें कर रहा है तो... . . किसी के इरादे सोफे पर बैठे-बैठे मँहगाई, बेरोजगारी या बांग्लादेशियों को उखाड़ फेंकने के हो रहे हैं... . हफ्ते में एक दिन नहाने वाले लोग स्वच्छता अभियान की खिलाफत और समर्थन कर रहे हैं। . . अपने बिस्तर से उठकर एक गिलास पानी लेने पर नोबेल पुरस्कार की उम्मीद रखने वाले बता रहे हैं कि माँ-बाप की सेवा कैसे करनी चाहिए। . . जिन्होंने आजतक बचपन में कंचे तक नहीं जीते वे बता रहे हैं कि भारत रत्न किसे मिलना चाहिए! . . जिन्हें "गली-क्रिकेट" में इसी शर्त पर खिलाया जाता था कि बॉल कोई भी मारे पर अगर नाली में गई तो निकालना तुझे ही पड़ेगा वो आज कोहली को समझाते पाए जाएँगे कि उसे कैसे खेलना है। . . कई मर्द ऐसे हैं जिन्होंने देश में महिलाओं की कम जनसंख्या को देखते हुए अपनी नकली ID बनाकर जनसंख्या को बराबर कर दिया है। . . जिन्हें यह तक नहीं पता कि हुमायूं, बाबर का कौन था? वह आज बता रहे हैं कि किसने कितनों को काटा था । . . कुछ दिन भर शायरियाँ पेलेंगे जैसे 'गालिब' के असली उस्ताद तो यहीं बैठे हैं ! . . जो नौजवान एक बालतोड़ हो जाने पर रो-रो कर पूरे मोहल्ले में हल्ला मचा देते हैं वे देश के लिए सर कटा लेने की बात करते दिखेंगे! . . किसी भी पार्टी का समर्थक होने में समस्या यह है कि... "भाजपा" समर्थक को अंधभक्त... "आप" समर्थक उल्लू... तथा "कांग्रेस"समर्थक बेरोजगार... करार दे दिये जाते हैं! . . कॉपी-पेस्ट करनेवालों के तो कहने ही क्या ! किसी की भी पोस्ट चेंप कर ऐसे व्यवहार करेंगे जैसे साहित्य की गंगा उनके घर से ही बहती है...और वो भी 'अवश्य पढ़े' तथा 'मार्केट में नया है' की सूचना के साथ। . . एक कप दूध पी लें तो दस्त लग जाएँ, ऐसे लोग हेल्थ की tips दिए जा रहे हैं। . . लेकिन समाज के असली जिम्मेदार नागरिक हैं: "टैगिए"... इन्हें ऐसा लगता है कि जब तक ये गुड मॉर्निंग वाले पोस्ट पर टैग नहीं करेंगे तब तक लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि सुबह हो चुकी है ! . . जिनकी वजह से शादियों में गुलाबजामुन वाले स्टॉल पर एक extra आदमी खड़ा रखना जरूरी है वो आम बजट पर टिप्पणी करते हुए पाए जाते हैं...! . . कॉकरोच देखकर चिल्लाते हुये पूरे मोहल्ले में भागने वाले पाकिस्तान को धमका रहे होते हैं कि "अब भी वक्त है सुधर जाओ"! . . क्या वक्त आ गया है वाकई । धन्य हैं व्हाट्सएप, फेसबुक और X युग के क्रांतिकारी...!!! Dr GP
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  • हिंदुओं को किसने रोका है अपनी दुकान पर अपना नाम लिखने से।

    अगर इतना ही हो जाए तो बहुत है ।

    जिस दुकान पर नाम ना लिखा हो
    😜😜समझ जाओ 😜😜
    हिंदुओं को किसने रोका है अपनी दुकान पर अपना नाम लिखने से। अगर इतना ही हो जाए तो बहुत है । जिस दुकान पर नाम ना लिखा हो 😜😜समझ जाओ 😜😜
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  • मुक्तार भाई को समझाओ कि यहाँ जात की बात नहीं हो रही है! यहाँ धर्म और आस्था की बात हो रही है। हिन्दू लोगों को भी आपकी तरह (हलाल) शुद्ध तन, मन और प्यार से ग्रहण करने की आज़ादी होनी चाहिए। फिर आपके लोग थूक-थूक कर सबका धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं!
    क्या कहें!!
    मुक्तार भाई को समझाओ कि यहाँ जात की बात नहीं हो रही है! यहाँ धर्म और आस्था की बात हो रही है। हिन्दू लोगों को भी आपकी तरह (हलाल) शुद्ध तन, मन और प्यार से ग्रहण करने की आज़ादी होनी चाहिए। फिर आपके लोग थूक-थूक कर सबका धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं! क्या कहें!!
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  • "1955 में जब धीरूभाई अंबानी से मेरी शादी हुई थी तब मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि मेरा जीवन इतना बदल जाएगा। शादी के बाद ही मैंने पहली बार मुंबई देखा था। जब मैं यमन के अदन शहर जा रही थी तब पहली बार मैं स्टीमर में बैठी थी। और मेरे लिए वो बहुत हैरान करने वाला तजुर्बा था। अदन में ज़िंदगी जामनगर के मुकाबले बहुत अलग थी। अदन मेरे लिए टर्निंग पॉइन्ट साबित हुआ था। मुकेश का जन्म वहीं हुआ था। अनिल, दीप्ति और नीना का जन्म मुंबई में हुआ था। अब तो सबकी शादी हो चुकी है। आज बहुओं, दामादों और बच्चों को मिलाकर हमारा 19 लोगों का परिवार हो गया है।"

    24 फरवरी 1934 को कोकिलाबेन का जन्म जामनगर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जो उस वक्त नवानगर कहलाता था। एक आम भारतीय लड़की की तरह ही कोकिलाबेन की परवरिश हुई थी। उनकी माता ने उन्हें घर के सभी काम करने सिखाए थे। साथ ही सिलाई व कढ़ाई भी उन्होंने सीखी थी। उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की थी। साल 1955 में कोकिलाबेन और धीरूभाई अंबानी की शादी हुई थी। शादी के बाद वो अपनी ससुराल चोरवाड आ गई। उस ज़माने में धीरूभाई के घर एक बैलगाड़ी हुआ करती थी। शादी के कुछ महीनों बाद धीरूभाई काम करने अदन चले गए।

    एक दफा अदन से धीरूभाई ने कोकिलाबेन को एक चिट्ठी लिखी। उस चिट्ठी में धीरूभाई ने लिखा,"कोकिला, मैंने यहां एक कार खरीद ली है। जब तुम अदन आओगी तो मैं तुम्हें इसी कार से लेने आऊंगा। जानती हो कार का रंग क्या है? काली। बिल्कुल मेरी तरह।" धीरूभाई की वो चिट्ठी पढ़कर उस दिन कोकिलाबेन बहुत हंसी थी। और जब कुछ दिन बाद वो अदन पहुंची तो पोर्ट पर उन्हें रिसीव करने धीरूभाई अपनी उसी काली कार में आए थे। कोकिला जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि चोरवाड में हमारे पास बैलगाड़ी थी। अदन में हमारे पास कार आई। और मुंबई में तो हवाई जहाज और हैलीकॉप्टर भी आ गया।

    1958 में धीरूभाई अंबानी और कोकिलाबेन अदन से वापस भारत लौट आए। धीरूभाई ने मुंबई को अपना ठिकाना बनाया। हर गुज़रते दिन के साथ वो तरक्की करते चले गए। उन्होंने रिलायंस की स्थापना की। कदम दर कदम वो कामयाबी की ऊंचाईयां छूते चले गए। और अपनी पत्नी कोकिलाबेन को उन्होंने हमेशा अपने साथ रखा। हर फैसला वो कोकिलाबेन से सलाह-मशविरा करके लेते थे। हर नए प्लांट का इनोग्रेशन कोकिला जी से कराते थे। धीरूभाई हर प्रोग्राम व पार्टी में कोकिलाबेन को साथ लेकर जाते थे। कभी कोकिलाबेन मना करती थी तो साथ चलने की गुज़ारिश करते थे।

    चूंकि कोकिलाबेन 10वीं तक पढ़ी थी, वो भी गुजराती माध्यम से, इसलिए धीरूभाई चाहते थे कि वो और पढ़ें। धीरूभाई ने अपने बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए एक ट्यूटर रखा था। एक दिन धीरूभाई ने कोकिलाबेन से कहा कि तुम्हें भी अंग्रेजी सीखनी चाहिए। तुम भी इसी ट्यूटर से क्यों नहीं सीख लेती इंग्लिश? तभी से कोकिलाबेन ने भी अंग्रेजी पर मेहनत शुरू क दी। और कुछ सालों में उनकी भी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ हो गई।

    एक इंटरव्यू में कोकिलाबेन ने बताया था,"धीरूभाई उन्हें अपने साथ फाइवस्टार होटल्स में ले जाते थे। और वहां पर तरह-तरह का खाना खिलाते थे जैसे इटैलियन, मैक्सिकन, चायनीज़, जैपनीज़ व अन्य। इसलिए ताकि जब मैं उनके साथ किसी पार्टी या विदेश में जाऊं तो मुझे खाने के लिए परेशान ना होना पड़े। वो जब भी मुझे विदेश घुमाने ले जाते थे तो मुझे हर जगह के बारे में अच्छे से जानकारी देते थे। दुनिया के बारे में उनकी नॉलेज बहुत अच्छी थी।"

    Bottomline, you don't progress by living in a well like what's happening in KA, you have to explore new things and learn new things. Language is just a bridge to communicate your mind to others. Never force ur language on others who don't know
    "1955 में जब धीरूभाई अंबानी से मेरी शादी हुई थी तब मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि मेरा जीवन इतना बदल जाएगा। शादी के बाद ही मैंने पहली बार मुंबई देखा था। जब मैं यमन के अदन शहर जा रही थी तब पहली बार मैं स्टीमर में बैठी थी। और मेरे लिए वो बहुत हैरान करने वाला तजुर्बा था। अदन में ज़िंदगी जामनगर के मुकाबले बहुत अलग थी। अदन मेरे लिए टर्निंग पॉइन्ट साबित हुआ था। मुकेश का जन्म वहीं हुआ था। अनिल, दीप्ति और नीना का जन्म मुंबई में हुआ था। अब तो सबकी शादी हो चुकी है। आज बहुओं, दामादों और बच्चों को मिलाकर हमारा 19 लोगों का परिवार हो गया है।" 24 फरवरी 1934 को कोकिलाबेन का जन्म जामनगर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जो उस वक्त नवानगर कहलाता था। एक आम भारतीय लड़की की तरह ही कोकिलाबेन की परवरिश हुई थी। उनकी माता ने उन्हें घर के सभी काम करने सिखाए थे। साथ ही सिलाई व कढ़ाई भी उन्होंने सीखी थी। उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की थी। साल 1955 में कोकिलाबेन और धीरूभाई अंबानी की शादी हुई थी। शादी के बाद वो अपनी ससुराल चोरवाड आ गई। उस ज़माने में धीरूभाई के घर एक बैलगाड़ी हुआ करती थी। शादी के कुछ महीनों बाद धीरूभाई काम करने अदन चले गए। एक दफा अदन से धीरूभाई ने कोकिलाबेन को एक चिट्ठी लिखी। उस चिट्ठी में धीरूभाई ने लिखा,"कोकिला, मैंने यहां एक कार खरीद ली है। जब तुम अदन आओगी तो मैं तुम्हें इसी कार से लेने आऊंगा। जानती हो कार का रंग क्या है? काली। बिल्कुल मेरी तरह।" धीरूभाई की वो चिट्ठी पढ़कर उस दिन कोकिलाबेन बहुत हंसी थी। और जब कुछ दिन बाद वो अदन पहुंची तो पोर्ट पर उन्हें रिसीव करने धीरूभाई अपनी उसी काली कार में आए थे। कोकिला जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि चोरवाड में हमारे पास बैलगाड़ी थी। अदन में हमारे पास कार आई। और मुंबई में तो हवाई जहाज और हैलीकॉप्टर भी आ गया। 1958 में धीरूभाई अंबानी और कोकिलाबेन अदन से वापस भारत लौट आए। धीरूभाई ने मुंबई को अपना ठिकाना बनाया। हर गुज़रते दिन के साथ वो तरक्की करते चले गए। उन्होंने रिलायंस की स्थापना की। कदम दर कदम वो कामयाबी की ऊंचाईयां छूते चले गए। और अपनी पत्नी कोकिलाबेन को उन्होंने हमेशा अपने साथ रखा। हर फैसला वो कोकिलाबेन से सलाह-मशविरा करके लेते थे। हर नए प्लांट का इनोग्रेशन कोकिला जी से कराते थे। धीरूभाई हर प्रोग्राम व पार्टी में कोकिलाबेन को साथ लेकर जाते थे। कभी कोकिलाबेन मना करती थी तो साथ चलने की गुज़ारिश करते थे। चूंकि कोकिलाबेन 10वीं तक पढ़ी थी, वो भी गुजराती माध्यम से, इसलिए धीरूभाई चाहते थे कि वो और पढ़ें। धीरूभाई ने अपने बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए एक ट्यूटर रखा था। एक दिन धीरूभाई ने कोकिलाबेन से कहा कि तुम्हें भी अंग्रेजी सीखनी चाहिए। तुम भी इसी ट्यूटर से क्यों नहीं सीख लेती इंग्लिश? तभी से कोकिलाबेन ने भी अंग्रेजी पर मेहनत शुरू क दी। और कुछ सालों में उनकी भी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ हो गई। एक इंटरव्यू में कोकिलाबेन ने बताया था,"धीरूभाई उन्हें अपने साथ फाइवस्टार होटल्स में ले जाते थे। और वहां पर तरह-तरह का खाना खिलाते थे जैसे इटैलियन, मैक्सिकन, चायनीज़, जैपनीज़ व अन्य। इसलिए ताकि जब मैं उनके साथ किसी पार्टी या विदेश में जाऊं तो मुझे खाने के लिए परेशान ना होना पड़े। वो जब भी मुझे विदेश घुमाने ले जाते थे तो मुझे हर जगह के बारे में अच्छे से जानकारी देते थे। दुनिया के बारे में उनकी नॉलेज बहुत अच्छी थी।" Bottomline, you don't progress by living in a well like what's happening in KA, you have to explore new things and learn new things. Language is just a bridge to communicate your mind to others. Never force ur language on others who don't know
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  • दुकान किसकी है उसका नाम लिखने को बोला गया है वो भी सबसे लेकिन दर्द सेकुलरों और इस्लामिक कट्टरपंथियों को ही हुआ समझ रहे हैं न?

    तीर एकदम सही निशाने पर लगा है और अब आपको क्या करना है आपको पता है। निःसंकोच होकर वेंडर से पूछें और साक्ष्य मांगें कि दुकान किसके नाम पर है।
    दुकान किसकी है उसका नाम लिखने को बोला गया है वो भी सबसे लेकिन दर्द सेकुलरों और इस्लामिक कट्टरपंथियों को ही हुआ समझ रहे हैं न? तीर एकदम सही निशाने पर लगा है और अब आपको क्या करना है आपको पता है। निःसंकोच होकर वेंडर से पूछें और साक्ष्य मांगें कि दुकान किसके नाम पर है।
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  • वैष्णो ढाबा : मालिक मोहम्मद अनुस...
    खाटू श्याम ढाबा : मालिक मोहम्मद इरशाद...
    गणपति ढाबा : मालिक मोहम्मद वसीम...
    ओम शिव वैष्णो ढाबा : मालिक मोहम्मद आदिल...
    लक्ष्मी शुद्ध वैष्णो ढाबा : मालिक मोहम्मद शमशेर...
    श्रीनाथ डोसा ढाबा : मालिक मोहम्मद इरफान...

    आखिर खुद का नाम रखने से इन्हें इतना डर क्यों लगता है ??🤔
    क्या इसके लिए भी आसमानी किताब में कोई हिदायत है??🤔🤔
    वैष्णो ढाबा : मालिक मोहम्मद अनुस... खाटू श्याम ढाबा : मालिक मोहम्मद इरशाद... गणपति ढाबा : मालिक मोहम्मद वसीम... ओम शिव वैष्णो ढाबा : मालिक मोहम्मद आदिल... लक्ष्मी शुद्ध वैष्णो ढाबा : मालिक मोहम्मद शमशेर... श्रीनाथ डोसा ढाबा : मालिक मोहम्मद इरफान... आखिर खुद का नाम रखने से इन्हें इतना डर क्यों लगता है ??🤔 क्या इसके लिए भी आसमानी किताब में कोई हिदायत है??🤔🤔
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  • मैं चाहता हूँ देश के हर राज्य की सरकार और मंत्री इस तरह Aggressive stance रखे.

    कर्नाटक में Local लोगों के लिए Private Jobs में Reservation का कानून बनाया जा रहा था.. जिसके बाद बड़ा हल्ला मचा और NASSCOM ने भी इस पर आपत्ति जताई... और साथ ही कहा कि ऐसा होने से कंपनियों को दूसरे राज्यों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

    आंध्र प्रदेश के मंत्री और CM नायडू के बेटे नरा लोकेश ने इस अवसर का लाभ उठा कर बताया कि वह क्या क्या सुविधायें देंगे, अगर कंपनिया उनके प्रदेश में आएं.

    यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है.... आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से आपके राजनीतिक अलगाव हो सकते हैं... लेकिन यह बात मानने में कोई शक नहीं कि हैदराबाद को IT hub, Manufacturing hub बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ रहा है.

    जिस ज़माने में उत्तर भारत के मुख्यमंत्री जाति पाती के झगड़ो में और फ़टे टूटे infra से जूझ रहे थे.. उस ज़माने में नायडू अमेरिका जा कर Bill Gates और अन्य IT Leaders से मिला करते थे.... उस ज़माने में नायडू ही थे जो विदेशी दौरे पर सरकारी अफसरों के बजाये Professionals को ले कर जाते थे... और वहाँ की सरकारों और Corporates के साथ उनकी meetings हुआ करती थी.

    खैर बाद में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ, तेलंगाना बना और हैदराबाद वहाँ की राजधानी बन गया..... आंध्र प्रदेश अब फिर से शुरआत कर रहा है... अमरावती को बसाना है.. वहीं उनके पास विशाखापत्तनम जैसा शहर भी है.. जहाँ असीमित सम्भावनाएं हैं.

    नायडू को फिर से 25-30 साल पहले जैसा काम करना पड़ेगा... और Corporates के लिए Red Carpet बिछाना पड़ेगा.... यह कदम आगे चल कर लाखों लोगों के लिये नौकरी और आजीविका का इंतजाम करेंगे.

    वहीं ऐसे Agrressive Stance रखने से कोई भी राज्य Private Sector में Reservation जैसा बेवकूफाना कदम नहीं उठा पायेगा.

    पिछले दिनों यही approach उत्तर प्रदेश में भी दिखी थी... जब पंजाब से आये कारोबारीयों से योगी आदित्यनाथ जी बार बार मिले.. उन्हें बेहतर सुविधाएं और Tax Benefit दिए.. जिसके बाद सैंकड़ो कम्पनिया पंजाब से उत्तरप्रदेश shift हो चुकी हैं.

    उससे पहले गुजरात ऐसे ही कई project महाराष्ट्र से ले चुका है.

    देश को आगे बढ़ाना है.. करोड़ों लोगों को रोजगार देना है... तो ऐसी ही Aggressive Strategy सबको अपनानी पड़ेगी.
    Dr GP
    मैं चाहता हूँ देश के हर राज्य की सरकार और मंत्री इस तरह Aggressive stance रखे. कर्नाटक में Local लोगों के लिए Private Jobs में Reservation का कानून बनाया जा रहा था.. जिसके बाद बड़ा हल्ला मचा और NASSCOM ने भी इस पर आपत्ति जताई... और साथ ही कहा कि ऐसा होने से कंपनियों को दूसरे राज्यों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. आंध्र प्रदेश के मंत्री और CM नायडू के बेटे नरा लोकेश ने इस अवसर का लाभ उठा कर बताया कि वह क्या क्या सुविधायें देंगे, अगर कंपनिया उनके प्रदेश में आएं. यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है.... आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से आपके राजनीतिक अलगाव हो सकते हैं... लेकिन यह बात मानने में कोई शक नहीं कि हैदराबाद को IT hub, Manufacturing hub बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ रहा है. जिस ज़माने में उत्तर भारत के मुख्यमंत्री जाति पाती के झगड़ो में और फ़टे टूटे infra से जूझ रहे थे.. उस ज़माने में नायडू अमेरिका जा कर Bill Gates और अन्य IT Leaders से मिला करते थे.... उस ज़माने में नायडू ही थे जो विदेशी दौरे पर सरकारी अफसरों के बजाये Professionals को ले कर जाते थे... और वहाँ की सरकारों और Corporates के साथ उनकी meetings हुआ करती थी. खैर बाद में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ, तेलंगाना बना और हैदराबाद वहाँ की राजधानी बन गया..... आंध्र प्रदेश अब फिर से शुरआत कर रहा है... अमरावती को बसाना है.. वहीं उनके पास विशाखापत्तनम जैसा शहर भी है.. जहाँ असीमित सम्भावनाएं हैं. नायडू को फिर से 25-30 साल पहले जैसा काम करना पड़ेगा... और Corporates के लिए Red Carpet बिछाना पड़ेगा.... यह कदम आगे चल कर लाखों लोगों के लिये नौकरी और आजीविका का इंतजाम करेंगे. वहीं ऐसे Agrressive Stance रखने से कोई भी राज्य Private Sector में Reservation जैसा बेवकूफाना कदम नहीं उठा पायेगा. पिछले दिनों यही approach उत्तर प्रदेश में भी दिखी थी... जब पंजाब से आये कारोबारीयों से योगी आदित्यनाथ जी बार बार मिले.. उन्हें बेहतर सुविधाएं और Tax Benefit दिए.. जिसके बाद सैंकड़ो कम्पनिया पंजाब से उत्तरप्रदेश shift हो चुकी हैं. उससे पहले गुजरात ऐसे ही कई project महाराष्ट्र से ले चुका है. देश को आगे बढ़ाना है.. करोड़ों लोगों को रोजगार देना है... तो ऐसी ही Aggressive Strategy सबको अपनानी पड़ेगी. Dr GP
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