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"शस्त्र नहीं हैं वहाँ शास्त्र सिर धुनते और रोते हैं,
ऋषियों को भी सिद्धि तभी मिलती है
जब पहरे पर स्वयं धनुर्धर राम खड़े होते हैं"
"शस्त्र नहीं हैं वहाँ शास्त्र सिर धुनते और रोते हैं, ऋषियों को भी सिद्धि तभी मिलती है जब पहरे पर स्वयं धनुर्धर राम खड़े होते हैं"
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