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कहा जाता है कि 1026 ईस्वी में जब मुहम्मद गजनवी ने हमारे सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था तो वो मंदिर के वैभव और टेक्नोलॉजी को देखकर चकाचौंध हो गया था.

क्योंकि, हमारे सोमनाथ मंदिर की टेक्नोलॉजी ऐसी थी कि वहाँ के गर्भगृह में शिवलिंग बिना किसी सहारे के हवा में तैरती रहती थी...!

और, जब ये बात हमलोग किसी को बताते हैं तो हंसी उड़ाते हुए कहता है कि ऐसा थोड़े न हो सकता है.

शायद वे लोग ऐसा इसीलिए कहते हैं क्योंकि मैकाले की शिक्षापद्धति और निहारु के इस थ्योरी ने ऐसे लोगों के मन में ये बिठा दिया है कि... अंग्रेजों के आने से पहले भारत में एक सुई तक नहीं बनती थी.

तो, ऐसे लोग आँख खोलकर देख लें कि किस टेक्नोलॉजी से सोमनाथ मंदिर की हमारी शिवलिंग बिना किसी सहारे के हवा में तैरती रहती है.

और हाँ.... मैग्नेटिक फील्ड की ये टेक्नोलॉजी हमारे पास आज से लगभग 1500 साल पहले ही थी जब ये तथाकथित हिसा-मूसा वाले जंगलों में नंग-धड़ंग रह कर चूहे-बिल्ली आदि खाया करते थे...!

ऐसे में आखिर हमें क्यों न गर्व हो अपने देश एवं अपने सनातन धर्म के ज्ञान पर...???

जय सनातन धर्म...!
जय सोमनाथ महादेव...!!
कहा जाता है कि 1026 ईस्वी में जब मुहम्मद गजनवी ने हमारे सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था तो वो मंदिर के वैभव और टेक्नोलॉजी को देखकर चकाचौंध हो गया था. क्योंकि, हमारे सोमनाथ मंदिर की टेक्नोलॉजी ऐसी थी कि वहाँ के गर्भगृह में शिवलिंग बिना किसी सहारे के हवा में तैरती रहती थी...! और, जब ये बात हमलोग किसी को बताते हैं तो हंसी उड़ाते हुए कहता है कि ऐसा थोड़े न हो सकता है. शायद वे लोग ऐसा इसीलिए कहते हैं क्योंकि मैकाले की शिक्षापद्धति और निहारु के इस थ्योरी ने ऐसे लोगों के मन में ये बिठा दिया है कि... अंग्रेजों के आने से पहले भारत में एक सुई तक नहीं बनती थी. तो, ऐसे लोग आँख खोलकर देख लें कि किस टेक्नोलॉजी से सोमनाथ मंदिर की हमारी शिवलिंग बिना किसी सहारे के हवा में तैरती रहती है. और हाँ.... मैग्नेटिक फील्ड की ये टेक्नोलॉजी हमारे पास आज से लगभग 1500 साल पहले ही थी जब ये तथाकथित हिसा-मूसा वाले जंगलों में नंग-धड़ंग रह कर चूहे-बिल्ली आदि खाया करते थे...! ऐसे में आखिर हमें क्यों न गर्व हो अपने देश एवं अपने सनातन धर्म के ज्ञान पर...??? जय सनातन धर्म...! जय सोमनाथ महादेव...!!
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