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शिवलिंग का उपहास न उड़ाए, बल्कि अपना ज्ञान बढ़ाये!

सोशल मीडिया पर लगातार देख रहा हूँ कि शिवलिंग पर लगातार कटाक्ष करते हुए तमाम लोगो द्वारा यह सवाल उठाया जा रहा है कि शिवलिंग शंकर भगवान के शरीर का कौन सा हिस्सा है, सवाल आहत करता जरूर है लेकिन फिर सोचता हूँ कि अगर सब ज्ञानी हो जाएंगे तो इस धरा का क्या होगा, विडंबना यह है कि शिवलिंग का मजाक मुस्लिम वर्ग नही अपितु हिन्दू वर्ग उड़ाने में जुट गया है इन्ही में कुछ मुस्लिम भी अपना ज्ञान वर्धन करना चाह रहे और लिंग रूप को समझना चाह रहे तो ये सभी के लिए है।

शिवलिंग महादेव के शरीर का कोई हिस्सा नही अपितु सम्पूर्ण उनका रूप है, शिवलिंग शरीर का अंग नही बल्कि शिव का प्रतीक है। जैसे पुल्लिंग का मतलब पुरुष और स्त्रीलिंग का मतलब स्त्री होता है उसी प्रकार शिवलिंग का मतलब शिव का प्रतीक है। लिंग की उपमा शरीर के हिस्से से नही बल्कि एक प्रतीक तौर पर लीजिये, और यही सत्य है।

रही बात शिव लिंग के रूप की तो शिव के रूप अनंत है, शिव अनादि है। उनके रूप को मानुष मात्र क्या समझ पायेगा, त्रयंबकेश्वर में अलग रूप है काशी में अलग रूप है, केदारनाथ में अलग रूप है। शिवलिंग स्वयम में ऊर्जा का प्रतीक है, सनातन धर्म मान्यता है कि कण कण में शिव का वास है इसीलिए शिवलिंग प्रतीकात्मक है।

शिव लिंग को यह समझना कि भगवान शिव के लिंग की पूजा की जाती है तो फिर आप अज्ञानी है अथवा किसी मानसिक दुर्भावना से ग्रसित है। शिवलिंग का रहस्य समझने की शक्ति किसी मे नही है, शिव अध्यात्म का वह स्त्रोत है जिसमे सब कुछ समाहित है, शिव ही ज्ञान है शिव ही नृत्य है शिव ही सब कुछ है और उन्ही शिव पर कटाक्ष वो भी अल्पज्ञान के कारण। रावण भी जब शिव की पूजा करता था तो जिन स्थानों पर उसे प्रभु की पूजा करनी होती थी वह उनका प्रतीक निर्मित कर पूजा करता था जिसका उलेख भी "लिंग थापि विधिवत कर पूजा, शिव समान मोहि प्रिय न दूजा"

कोई शिवलिंग में छेद ढूंढ रहा कोई उसकी बनावट का उपहास उड़ा रहा अजीब है यार लोग, अरे भाई हमारी आस्था शिव में है, थी और रहेगी। जिन्हें मानना है वो माने जिन्हें नही मानना न माने लेकिन उपहास उडाइयेगा तो ये गलत है। न्यायालय निर्धारित करेगा कि क्या मिला है क्या नही, क्या गलत है क्या सही, लेकिन उसके पहले महादेव एक ऐसा निरादर कदापि उचित नही है।

शिव परम ज्ञान है, लोक आस्था का विषय है|
शिवलिंग का उपहास न उड़ाए, बल्कि अपना ज्ञान बढ़ाये! सोशल मीडिया पर लगातार देख रहा हूँ कि शिवलिंग पर लगातार कटाक्ष करते हुए तमाम लोगो द्वारा यह सवाल उठाया जा रहा है कि शिवलिंग शंकर भगवान के शरीर का कौन सा हिस्सा है, सवाल आहत करता जरूर है लेकिन फिर सोचता हूँ कि अगर सब ज्ञानी हो जाएंगे तो इस धरा का क्या होगा, विडंबना यह है कि शिवलिंग का मजाक मुस्लिम वर्ग नही अपितु हिन्दू वर्ग उड़ाने में जुट गया है इन्ही में कुछ मुस्लिम भी अपना ज्ञान वर्धन करना चाह रहे और लिंग रूप को समझना चाह रहे तो ये सभी के लिए है। शिवलिंग महादेव के शरीर का कोई हिस्सा नही अपितु सम्पूर्ण उनका रूप है, शिवलिंग शरीर का अंग नही बल्कि शिव का प्रतीक है। जैसे पुल्लिंग का मतलब पुरुष और स्त्रीलिंग का मतलब स्त्री होता है उसी प्रकार शिवलिंग का मतलब शिव का प्रतीक है। लिंग की उपमा शरीर के हिस्से से नही बल्कि एक प्रतीक तौर पर लीजिये, और यही सत्य है। रही बात शिव लिंग के रूप की तो शिव के रूप अनंत है, शिव अनादि है। उनके रूप को मानुष मात्र क्या समझ पायेगा, त्रयंबकेश्वर में अलग रूप है काशी में अलग रूप है, केदारनाथ में अलग रूप है। शिवलिंग स्वयम में ऊर्जा का प्रतीक है, सनातन धर्म मान्यता है कि कण कण में शिव का वास है इसीलिए शिवलिंग प्रतीकात्मक है। शिव लिंग को यह समझना कि भगवान शिव के लिंग की पूजा की जाती है तो फिर आप अज्ञानी है अथवा किसी मानसिक दुर्भावना से ग्रसित है। शिवलिंग का रहस्य समझने की शक्ति किसी मे नही है, शिव अध्यात्म का वह स्त्रोत है जिसमे सब कुछ समाहित है, शिव ही ज्ञान है शिव ही नृत्य है शिव ही सब कुछ है और उन्ही शिव पर कटाक्ष वो भी अल्पज्ञान के कारण। रावण भी जब शिव की पूजा करता था तो जिन स्थानों पर उसे प्रभु की पूजा करनी होती थी वह उनका प्रतीक निर्मित कर पूजा करता था जिसका उलेख भी "लिंग थापि विधिवत कर पूजा, शिव समान मोहि प्रिय न दूजा" कोई शिवलिंग में छेद ढूंढ रहा कोई उसकी बनावट का उपहास उड़ा रहा अजीब है यार लोग, अरे भाई हमारी आस्था शिव में है, थी और रहेगी। जिन्हें मानना है वो माने जिन्हें नही मानना न माने लेकिन उपहास उडाइयेगा तो ये गलत है। न्यायालय निर्धारित करेगा कि क्या मिला है क्या नही, क्या गलत है क्या सही, लेकिन उसके पहले महादेव एक ऐसा निरादर कदापि उचित नही है। शिव परम ज्ञान है, लोक आस्था का विषय है|
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