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सनातन धर्म एक योद्धा की परंपरा है।

गांधी के कट्टरपंथी अहिंसा दर्शन का सनातन धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।

विष्णु के अधिकांश अवतार क्षत्रिय (धर्म योद्धा) थे।

गांधी की अहिंसा ने अधिकांश हिंदुओं को निष्क्रिय और कमजोर बना दिया है।

श्रीमद्भागवत गीता किसी आश्रम या मंदिर में नहीं बोली गई थी, बल्कि युद्ध के मैदान में बोली गई थी। हमें क्षत्रिय धर्म सिखाने के लिए और अधिक हिंदुओं की आवश्यकता है!

क्षत्रिय वही जो बराह्मणों का सम्मान करे और बराह्मण वही जो क्षत्रियों पर अभिमान करे
सनातन धर्म एक योद्धा की परंपरा है। गांधी के कट्टरपंथी अहिंसा दर्शन का सनातन धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। विष्णु के अधिकांश अवतार क्षत्रिय (धर्म योद्धा) थे। गांधी की अहिंसा ने अधिकांश हिंदुओं को निष्क्रिय और कमजोर बना दिया है। श्रीमद्भागवत गीता किसी आश्रम या मंदिर में नहीं बोली गई थी, बल्कि युद्ध के मैदान में बोली गई थी। हमें क्षत्रिय धर्म सिखाने के लिए और अधिक हिंदुओं की आवश्यकता है! क्षत्रिय वही जो बराह्मणों का सम्मान करे और बराह्मण वही जो क्षत्रियों पर अभिमान करे
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