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माता-पिता और भाई-बहन के सामने बालक का गला ‘अल्लाहु अकबर’ कह कर रेता गया। सोती हुई महिलाओं और बच्चों को लाइव स्ट्रीमिंग करते हुए गोलियाँ मारी गई। शवों को अर्धनग्न कर के परेड कराए गए। ये सब कार्य आतंकी मुसलमानों ने किया। 600 यहूदियों की नृशंस हत्या हुई।

इसके बाद फिलिस्तीन के साथ वही खड़ा है जिसे गले पर चारू चलाते समय रिसता हुआ रक्त अच्छा लगता है। हमास को पीड़ित वही बता सकता है जो अपने मन में स्त्रियों और बच्चियों के, शवों के साथ ही सही, बलात्कार की इच्छा पाले हुए घूमता है।

वो जो बैलेंस बना कर चलते हैं, या न्यूट्रल होने के लिए हमास का पक्ष देखते हैं वो स्वयं आतंकी हैं। जो मानसिक रूप से विक्षिप्त और विकृत यौनिकता पाले घूमते हैं, उनके ही भीतर फिलिस्तीन की नृशंसता पर उनके ही पीड़ित होने का भाव उपजेगा।

मुस्लिम नाम वाले कई हैंडल यह बताते थक नहीं रहे कि ‘अरे! वो तो जन्मे ही युद्ध लड़ कर मरने के लिए हैं, उन्हें मौत का क्या भय।’ इसी के साथ वो यह भी मान लेते हैं कि बच्चों का गला रेतना, महिलाओं का बलात्कार और उन्हें बंधक बनाना, शवों के साथ बर्बरता उचित है क्योंकि ये काम करने वाले आतंकी उनके मजहब के हैं।

एक पत्रकार लिखती है कि जो मरी है वो तो बिकिनी पहन कर फोटो लगाया करती थी। वो स्वयं एक लड़की हो कर ऐसा केवल इस कारण लिख रही है क्योंकि वो भी मुस्लिम है, आतंकी भी।

एक लिखती है कि आँख के बदले आँख पूरे संसार को अंधा बना देगा। ये भी उसने तब लिखा जब पहली आँख किसी मुस्लिम आतंकी ने निकाली और वो स्वयं भी मुस्लिम है।

एक पूरा मजहब यह बताता फिरता है कि इस्लाम कैसे युद्ध करता है और कैसे वो आजादी के लिए लड़ रहे हैं। जेरूसलम ईसाईयों का भी पवित्र स्थल है, वो तो उसकी मुक्ति के लिए संघर्ष नहीं कर रहे! ये कीड़ा इन्हीं के भीतर क्यों है?

सत्य यही है कि शांति इनकी शब्दावली में किसी अन्य अर्थ के साथ है, या है ही नहीं। इनका दूसरा नाम ही अतिक्रमण है। इनकी विचाराधारा का समर्थन हिंसक, नरसंहार-प्रेमी और यौनविकृति का शिकार व्यक्ति ही कर सकता है।

पूरे विश्व को अपने अस्तित्व रक्षा हेतु ऐसे आतंकियों के सर्वनाश की योजना पर कार्य करना चाहिए।

#IndiaWithIsrael #IStandWithIsrael
माता-पिता और भाई-बहन के सामने बालक का गला ‘अल्लाहु अकबर’ कह कर रेता गया। सोती हुई महिलाओं और बच्चों को लाइव स्ट्रीमिंग करते हुए गोलियाँ मारी गई। शवों को अर्धनग्न कर के परेड कराए गए। ये सब कार्य आतंकी मुसलमानों ने किया। 600 यहूदियों की नृशंस हत्या हुई। इसके बाद फिलिस्तीन के साथ वही खड़ा है जिसे गले पर चारू चलाते समय रिसता हुआ रक्त अच्छा लगता है। हमास को पीड़ित वही बता सकता है जो अपने मन में स्त्रियों और बच्चियों के, शवों के साथ ही सही, बलात्कार की इच्छा पाले हुए घूमता है। वो जो बैलेंस बना कर चलते हैं, या न्यूट्रल होने के लिए हमास का पक्ष देखते हैं वो स्वयं आतंकी हैं। जो मानसिक रूप से विक्षिप्त और विकृत यौनिकता पाले घूमते हैं, उनके ही भीतर फिलिस्तीन की नृशंसता पर उनके ही पीड़ित होने का भाव उपजेगा। मुस्लिम नाम वाले कई हैंडल यह बताते थक नहीं रहे कि ‘अरे! वो तो जन्मे ही युद्ध लड़ कर मरने के लिए हैं, उन्हें मौत का क्या भय।’ इसी के साथ वो यह भी मान लेते हैं कि बच्चों का गला रेतना, महिलाओं का बलात्कार और उन्हें बंधक बनाना, शवों के साथ बर्बरता उचित है क्योंकि ये काम करने वाले आतंकी उनके मजहब के हैं। एक पत्रकार लिखती है कि जो मरी है वो तो बिकिनी पहन कर फोटो लगाया करती थी। वो स्वयं एक लड़की हो कर ऐसा केवल इस कारण लिख रही है क्योंकि वो भी मुस्लिम है, आतंकी भी। एक लिखती है कि आँख के बदले आँख पूरे संसार को अंधा बना देगा। ये भी उसने तब लिखा जब पहली आँख किसी मुस्लिम आतंकी ने निकाली और वो स्वयं भी मुस्लिम है। एक पूरा मजहब यह बताता फिरता है कि इस्लाम कैसे युद्ध करता है और कैसे वो आजादी के लिए लड़ रहे हैं। जेरूसलम ईसाईयों का भी पवित्र स्थल है, वो तो उसकी मुक्ति के लिए संघर्ष नहीं कर रहे! ये कीड़ा इन्हीं के भीतर क्यों है? सत्य यही है कि शांति इनकी शब्दावली में किसी अन्य अर्थ के साथ है, या है ही नहीं। इनका दूसरा नाम ही अतिक्रमण है। इनकी विचाराधारा का समर्थन हिंसक, नरसंहार-प्रेमी और यौनविकृति का शिकार व्यक्ति ही कर सकता है। पूरे विश्व को अपने अस्तित्व रक्षा हेतु ऐसे आतंकियों के सर्वनाश की योजना पर कार्य करना चाहिए। #IndiaWithIsrael #IStandWithIsrael
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