शोकस्थानसहस्राणि, भयस्थानशतानि च।
दिवसे दिवसे मूढम्, आविशन्ति न पण्डितम्॥
दुःख के हजारों कारण हैं, भय के भी सौ कारण हैं, ये दिन-प्रतिदिन मूर्खों को ही चिंतित करते हैं, बुद्धिमानों को नही.!!!
🕉 शान्ति
दिवसे दिवसे मूढम्, आविशन्ति न पण्डितम्॥
दुःख के हजारों कारण हैं, भय के भी सौ कारण हैं, ये दिन-प्रतिदिन मूर्खों को ही चिंतित करते हैं, बुद्धिमानों को नही.!!!
🕉 शान्ति
शोकस्थानसहस्राणि, भयस्थानशतानि च।
दिवसे दिवसे मूढम्, आविशन्ति न पण्डितम्॥
दुःख के हजारों कारण हैं, भय के भी सौ कारण हैं, ये दिन-प्रतिदिन मूर्खों को ही चिंतित करते हैं, बुद्धिमानों को नही.!!!
🕉 शान्ति
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