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गजब टाइमिंग है
कोविशील्ड नैरेटिव का

रोटी तो सभी खाते हैं.... गेहूं के आटे वाली रोटी. दिन में 4-8 रोटी तो खाते ही होंगे.

कितने सालों से खा ही रहे हैं... आगे भी खाते ही रहेंगे.

कभी सोचा है गेहूं के आटे से बनी रोटी खाने के क्या side effects होते हैं??

मै बताये देता हूँ

Nausea and vomiting
Indigestion
Diarrhea
Sneezing
Stuffy or runny nose
Headaches

एक खांसी की syrup... Cough Syrup के जानते हैं कितने Side Effects होते हैं??

- paranoia and confusion.
- excessive sweating.
- nausea and vomiting (large quantities of cough syrup almost always cause people to throw up)
belly pain.
- irregular heartbeat and high blood pressure.
- restlessness.
- dry, itchy skin and facial redness.

और आज side effects Rare नहीं हैं.... Large Sample of Population में हो सकते हैं.

लेकिन क्या आपने यह Side effects झेले हैं कभी??

Most cases में नहीं झेले होंगे.

Covishield में जो side effects बताये जा रहे हैं.. वह Rare category के हैं.... लाखों करोड़ों में किसी एक को वह हो सकता है... यह एक hit job है.. बेवजह का बवाल है और कुछ नहीं.

एस्ट्रोजेनिका ने 2021 में ही अपने रिसर्च पेपर में यह बताया था कि थ्रोमबोसिस इसका बहुत ही रेयर साइड इफ़ेक्ट हो सकता है। बाद में पता चला कि यह दस लाख लोगों में से किसी एक व्यक्ति को हो सकता है। अब जिसको थ्रोमबोसिस होगा, उसको इससे मृत्यु की संभावना भी केवल 1% है। अर्थात् इस वैक्सीन को यदि दस करोड़ लोगों को दिया जाय तो किसी एक व्यक्ति में मृत्यु की संभावना बनेगी। जबकि कोरोना से मृत्यु की संभावना अपने आप 2-3% थी अर्थात् 100 में से 2-3 व्यक्ति की।

अब आगे और महत्वपूर्ण बात यह है कि कोरोना में जो मौतें हुई उसमें से बहुतों का कारण यहीं थ्रामबोसिस ही था। अतः दस करोड़ में से एक घटने वाली घटना से डरकर, उस घटना को आमंत्रण देना जिससे 100 में से 2 लोगों की मृत्यु हो सकती है, स्पष्ट करता है कि यह बुद्धि का राहुल गांधीकरण है। कोविशिल्ड की इफ़ेक्टिविटी बाद में लगभग 90% साबित हुई। अतः अंध विरोध के चलते उस चीज का विरोध करना जिसने मानवता की इतनी बड़ी सेवा की, निकृष्टता है।

ब्लड कैंसर में बोन मैरो ट्रांस्प्लांट के दौरान ही 5-10% मरीज़ों की मृत्यु कैंसर के बजाय केवल उस प्रक्रिया से हो जाती है बावजूद इसके पिछले चार दशक से यह पहली चॉइस है। कभी किसी ने नहीं कहा कि यह इलाज लोगों को मार रहा है क्योंकि किसी भी दवा, इलाज और इंटरवेंशन को समग्रता से देखा जाता है। यह देखा जाता है कि नेट इससे मानवता बच रही है या नहीं।

इस हिसाब से मानवता को कोवीशील्ड के आविष्कारकों का धन्यवाद देना चाहिए।

So chill and thank Mahadev after June 4th this issue will die just like any scandal etc
Dr GP
गजब टाइमिंग है कोविशील्ड नैरेटिव का रोटी तो सभी खाते हैं.... गेहूं के आटे वाली रोटी. दिन में 4-8 रोटी तो खाते ही होंगे. कितने सालों से खा ही रहे हैं... आगे भी खाते ही रहेंगे. कभी सोचा है गेहूं के आटे से बनी रोटी खाने के क्या side effects होते हैं?? मै बताये देता हूँ Nausea and vomiting Indigestion Diarrhea Sneezing Stuffy or runny nose Headaches एक खांसी की syrup... Cough Syrup के जानते हैं कितने Side Effects होते हैं?? - paranoia and confusion. - excessive sweating. - nausea and vomiting (large quantities of cough syrup almost always cause people to throw up) belly pain. - irregular heartbeat and high blood pressure. - restlessness. - dry, itchy skin and facial redness. और आज side effects Rare नहीं हैं.... Large Sample of Population में हो सकते हैं. लेकिन क्या आपने यह Side effects झेले हैं कभी?? Most cases में नहीं झेले होंगे. Covishield में जो side effects बताये जा रहे हैं.. वह Rare category के हैं.... लाखों करोड़ों में किसी एक को वह हो सकता है... यह एक hit job है.. बेवजह का बवाल है और कुछ नहीं. एस्ट्रोजेनिका ने 2021 में ही अपने रिसर्च पेपर में यह बताया था कि थ्रोमबोसिस इसका बहुत ही रेयर साइड इफ़ेक्ट हो सकता है। बाद में पता चला कि यह दस लाख लोगों में से किसी एक व्यक्ति को हो सकता है। अब जिसको थ्रोमबोसिस होगा, उसको इससे मृत्यु की संभावना भी केवल 1% है। अर्थात् इस वैक्सीन को यदि दस करोड़ लोगों को दिया जाय तो किसी एक व्यक्ति में मृत्यु की संभावना बनेगी। जबकि कोरोना से मृत्यु की संभावना अपने आप 2-3% थी अर्थात् 100 में से 2-3 व्यक्ति की। अब आगे और महत्वपूर्ण बात यह है कि कोरोना में जो मौतें हुई उसमें से बहुतों का कारण यहीं थ्रामबोसिस ही था। अतः दस करोड़ में से एक घटने वाली घटना से डरकर, उस घटना को आमंत्रण देना जिससे 100 में से 2 लोगों की मृत्यु हो सकती है, स्पष्ट करता है कि यह बुद्धि का राहुल गांधीकरण है। कोविशिल्ड की इफ़ेक्टिविटी बाद में लगभग 90% साबित हुई। अतः अंध विरोध के चलते उस चीज का विरोध करना जिसने मानवता की इतनी बड़ी सेवा की, निकृष्टता है। ब्लड कैंसर में बोन मैरो ट्रांस्प्लांट के दौरान ही 5-10% मरीज़ों की मृत्यु कैंसर के बजाय केवल उस प्रक्रिया से हो जाती है बावजूद इसके पिछले चार दशक से यह पहली चॉइस है। कभी किसी ने नहीं कहा कि यह इलाज लोगों को मार रहा है क्योंकि किसी भी दवा, इलाज और इंटरवेंशन को समग्रता से देखा जाता है। यह देखा जाता है कि नेट इससे मानवता बच रही है या नहीं। इस हिसाब से मानवता को कोवीशील्ड के आविष्कारकों का धन्यवाद देना चाहिए। So chill and thank Mahadev after June 4th this issue will die just like any scandal etc Dr GP
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