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रक्षाबंधन का पावन पर्व समाज को एक नवीन दृष्टि प्रदान करता है.. स्नेह, प्रेम और समर्पण का पावन पर्व है रक्षाबंधन.. दूसरे संदर्भ मे सोचें तो रक्षा सूत्र बंधन का पर्व प्रत्येक वर्ष इसलिए भी मनाया जाता है ताकि हमारी वासनामय दृष्टि उपासनामय बन सके। वासनामय दृष्टि का परिमार्जन भी इस पर्व का एक प्रमुख उद्देश्य है.. हम अपनी बहनों को तो रक्षा का वचन दें ही दें, साथ में उन्हें यह वचन भी जरूर दें कि आज से कोई भी अकेली स्त्री मेरी दृष्टि में एक अवसर नहीं अपितु एक जिम्मेदारी होगी.. आज के दिन हम सभी को यह बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि " मैं केवल अपनी बहन की रक्षा का ही संकल्प नहीं लेता हूँ अपितु समाज और राष्ट्र की समस्त बहनों के आत्मसम्मान, शील और अस्मिता की रक्षा का भी संकल्प लेता हूँ।" यथार्थ में दृष्टि को परिमार्जित और व्यापक करते हुए हमारे मन - मष्तिष्क में समाज में परस्पर एक - दूसरे में भाई - बहन का भाव ही दृढ़ता से समाहित हो, यही इस पावन पर्व का प्रमुख उद्देश्य भी है।

भाई - बहन के प्रेम, स्नेह और समर्पण के पावन पर्व रक्षाबंधन की आप सभी को अनंत मंगल बधाई...
रक्षाबंधन का पावन पर्व समाज को एक नवीन दृष्टि प्रदान करता है.. स्नेह, प्रेम और समर्पण का पावन पर्व है रक्षाबंधन.. दूसरे संदर्भ मे सोचें तो रक्षा सूत्र बंधन का पर्व प्रत्येक वर्ष इसलिए भी मनाया जाता है ताकि हमारी वासनामय दृष्टि उपासनामय बन सके। वासनामय दृष्टि का परिमार्जन भी इस पर्व का एक प्रमुख उद्देश्य है.. हम अपनी बहनों को तो रक्षा का वचन दें ही दें, साथ में उन्हें यह वचन भी जरूर दें कि आज से कोई भी अकेली स्त्री मेरी दृष्टि में एक अवसर नहीं अपितु एक जिम्मेदारी होगी.. आज के दिन हम सभी को यह बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि " मैं केवल अपनी बहन की रक्षा का ही संकल्प नहीं लेता हूँ अपितु समाज और राष्ट्र की समस्त बहनों के आत्मसम्मान, शील और अस्मिता की रक्षा का भी संकल्प लेता हूँ।" यथार्थ में दृष्टि को परिमार्जित और व्यापक करते हुए हमारे मन - मष्तिष्क में समाज में परस्पर एक - दूसरे में भाई - बहन का भाव ही दृढ़ता से समाहित हो, यही इस पावन पर्व का प्रमुख उद्देश्य भी है। भाई - बहन के प्रेम, स्नेह और समर्पण के पावन पर्व रक्षाबंधन की आप सभी को अनंत मंगल बधाई...
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