साथियों,
हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-
“न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत”॥ यानि कि, पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक कभी हुआ ही नहीं!
श्रीराम की शिक्षा है- “नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना”॥ कोई भी दुखी न हो, गरीब न हो।
श्रीराम का सामाजिक संदेश है- “प्रहृष्ट नर नारीकः,समाज उत्सव शोभितः”॥ नर-नारी सभी समान रूप से सुखी हों।
श्रीराम का निर्देश है- “कच्चित् ते दयितः सर्वे, कृषि गोरक्ष जीविनः”। किसान, पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें।
श्रीराम का आदेश है-“कश्चिद्वृद्धान्चबालान्च, वैद्यान् मुख्यान् राघव। त्रिभि: एतै: वुभूषसे”॥ बुजुर्गों की,बच्चों की, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होनी चाहिए।
श्रीराम का आह्वान है- “जौंसभीतआवासरनाई।रखिहंउताहिप्रानकीनाई”॥ जो शरण में आए, उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है।
श्रीराम का सूत्र है- “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”॥ अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है।
श्रीराम की ही नीति है- “भयबिनुहोइन प्रीति”॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी।
राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है।
जय जय श्री राम!
    
  हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-
“न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत”॥ यानि कि, पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक कभी हुआ ही नहीं!
श्रीराम की शिक्षा है- “नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना”॥ कोई भी दुखी न हो, गरीब न हो।
श्रीराम का सामाजिक संदेश है- “प्रहृष्ट नर नारीकः,समाज उत्सव शोभितः”॥ नर-नारी सभी समान रूप से सुखी हों।
श्रीराम का निर्देश है- “कच्चित् ते दयितः सर्वे, कृषि गोरक्ष जीविनः”। किसान, पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें।
श्रीराम का आदेश है-“कश्चिद्वृद्धान्चबालान्च, वैद्यान् मुख्यान् राघव। त्रिभि: एतै: वुभूषसे”॥ बुजुर्गों की,बच्चों की, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होनी चाहिए।
श्रीराम का आह्वान है- “जौंसभीतआवासरनाई।रखिहंउताहिप्रानकीनाई”॥ जो शरण में आए, उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है।
श्रीराम का सूत्र है- “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”॥ अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है।
श्रीराम की ही नीति है- “भयबिनुहोइन प्रीति”॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी।
राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है।
जय जय श्री राम!
साथियों,
हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-
“न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत”॥ यानि कि, पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक कभी हुआ ही नहीं! 
श्रीराम की शिक्षा है- “नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना”॥ कोई भी दुखी न हो, गरीब न हो। 
श्रीराम का सामाजिक संदेश है- “प्रहृष्ट नर नारीकः,समाज उत्सव शोभितः”॥ नर-नारी सभी समान रूप से सुखी हों। 
श्रीराम का निर्देश है- “कच्चित् ते दयितः सर्वे, कृषि गोरक्ष जीविनः”। किसान, पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें। 
श्रीराम का आदेश है-“कश्चिद्वृद्धान्चबालान्च, वैद्यान् मुख्यान् राघव। त्रिभि: एतै: वुभूषसे”॥ बुजुर्गों की,बच्चों की, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होनी चाहिए। 
श्रीराम का आह्वान है- “जौंसभीतआवासरनाई।रखिहंउताहिप्रानकीनाई”॥ जो शरण में आए, उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। 
श्रीराम का सूत्र है- “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”॥ अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। 
श्रीराम की ही नीति है- “भयबिनुहोइन प्रीति”॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी।
राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है। 
जय जय श्री राम!
          
                    
          
          
            
            
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