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चंद्रशेखर आजाद रूस भागना चाहते थे ताकि वह स्टालिन के मदद से अंग्रेजो के खिलाफ बगावत को तेज कर सकें उसके लिए उन्हें पैसा चाहिए था। वह इलाहाबाद में थे अपने एक सहयोगी को जवाहरलाल नेहरू के पास पैसे की इंतजाम के लिए भेजा था नेहरू के अलावा और उनके एक सहयोगी के अलावा किसी को नहीं पता था कि सुबह चंद्रशेखर आजाद प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बैठे हैं थोड़ी देर में प्रयागराज का पुलिस अधीक्षक मिस्टर नॉट बाबर आता है और चंद्रशेखर आजाद को घेर कर गोलीबारी चला देता है चंद्रशेखर आजाद के माउजर में 7 गोलियां थी अंतिम गोली उन्होंने खुद को मार ली अंग्रेज जब भारत से गए तब बहुत से गुप्त दस्तावेजों को नष्ट कर दिया पूरे भारत के गुप्तचर विभाग को आदेश दिया गया कि वह अपने यहां मौजूद तमाम दस्तावेजों को जला दें चंद्रशेखर आजाद की जासूसी के बारे में सिर्फ यही एक दस्तावेज उपलब्ध है इस दस्तावेज में अंग्रेजी गुप्तचर यह खुलासा किया गया है कि चंद्रशेखर आजाद की मुखबिरी दो व्यक्तियों ने की थी एक व्यक्ति एआईसीसी में था और दूसरा व्यक्ति मुस्लिम लीग में था एआईसीसी यानी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यह कांग्रेसी कौन हो सकता है आप समझ जाइए
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