विडंबना 👇
आने वाले 20 वर्षो में हमारे घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे।
भाई, भाभी,
देवर, देवरानी,
जेठ, जेठानी,
काका, काकी,
ननद,ननदोई,
भुआ, फूफाजी सहित अनेक रिश्ते हमारे घरों से समाप्त हो जाएंगे।
बस ढाई तीन लोगों के परिवार बचेंगे,
न हिम्मत देने वाला बड़ा भाई होगा,
न तेज तर्राट छोटा भाई होगा,
न घर मे भाभी होगी,
न कोई छोटा देवर होगा,
बहु भी अकेली होगी,
न उसकी कोई देवरानी होगी
न जेठानी।
न चुलबुली ननद
न तेज तर्रार बुआ
कुल मिलाकर इस एक बच्चा फैशन और सिर्फ मैं मैं की मूढ़ता और अज्ञनता के कारण ...
परिवार खत्म होते जा रहे हैं।,
दो भाई वाले परिवार भी अब आखरी स्टेज पर हैं ।
पहले कच्चे घरो में भी बड़े परिवार रह लेते थे। अब बड़े बंगलो में भी ढाई तीन लोग रहने का फैशन चल पड़ा है।
मन दुखी होता है सब सोचकर हम को ईमानदारी से इस दिशा में सोचना चाहिए।
इस चुनौती पूर्ण सदी में हम एक बच्चे को कहा कहा जिम्मेदारी दे पाएंगे और उसमें हिम्मत कौन भरेगा बिना भाइयों के कंधे पर हाथ रखे।
आने वाले 20 वर्षो में हमारे घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे।
भाई, भाभी,
देवर, देवरानी,
जेठ, जेठानी,
काका, काकी,
ननद,ननदोई,
भुआ, फूफाजी सहित अनेक रिश्ते हमारे घरों से समाप्त हो जाएंगे।
बस ढाई तीन लोगों के परिवार बचेंगे,
न हिम्मत देने वाला बड़ा भाई होगा,
न तेज तर्राट छोटा भाई होगा,
न घर मे भाभी होगी,
न कोई छोटा देवर होगा,
बहु भी अकेली होगी,
न उसकी कोई देवरानी होगी
न जेठानी।
न चुलबुली ननद
न तेज तर्रार बुआ
कुल मिलाकर इस एक बच्चा फैशन और सिर्फ मैं मैं की मूढ़ता और अज्ञनता के कारण ...
परिवार खत्म होते जा रहे हैं।,
दो भाई वाले परिवार भी अब आखरी स्टेज पर हैं ।
पहले कच्चे घरो में भी बड़े परिवार रह लेते थे। अब बड़े बंगलो में भी ढाई तीन लोग रहने का फैशन चल पड़ा है।
मन दुखी होता है सब सोचकर हम को ईमानदारी से इस दिशा में सोचना चाहिए।
इस चुनौती पूर्ण सदी में हम एक बच्चे को कहा कहा जिम्मेदारी दे पाएंगे और उसमें हिम्मत कौन भरेगा बिना भाइयों के कंधे पर हाथ रखे।
विडंबना 👇
आने वाले 20 वर्षो में हमारे घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे।
भाई, भाभी,
देवर, देवरानी,
जेठ, जेठानी,
काका, काकी,
ननद,ननदोई,
भुआ, फूफाजी सहित अनेक रिश्ते हमारे घरों से समाप्त हो जाएंगे।
बस ढाई तीन लोगों के परिवार बचेंगे,
न हिम्मत देने वाला बड़ा भाई होगा,
न तेज तर्राट छोटा भाई होगा,
न घर मे भाभी होगी,
न कोई छोटा देवर होगा,
बहु भी अकेली होगी,
न उसकी कोई देवरानी होगी
न जेठानी।
न चुलबुली ननद
न तेज तर्रार बुआ
कुल मिलाकर इस एक बच्चा फैशन और सिर्फ मैं मैं की मूढ़ता और अज्ञनता के कारण ...
परिवार खत्म होते जा रहे हैं।,
दो भाई वाले परिवार भी अब आखरी स्टेज पर हैं ।
पहले कच्चे घरो में भी बड़े परिवार रह लेते थे। अब बड़े बंगलो में भी ढाई तीन लोग रहने का फैशन चल पड़ा है।
मन दुखी होता है सब सोचकर हम को ईमानदारी से इस दिशा में सोचना चाहिए।
इस चुनौती पूर्ण सदी में हम एक बच्चे को कहा कहा जिम्मेदारी दे पाएंगे और उसमें हिम्मत कौन भरेगा बिना भाइयों के कंधे पर हाथ रखे।
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