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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लोकप्रिय कार्यक्रम #MannKiBaat के 118वें एपिसोड को संबोधित करेंगे।

    लाइव देखें: https://www.youtube.com/live/Di-GyUIU72U?si=4lDtrHgq-N_XnOoM
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लोकप्रिय कार्यक्रम #MannKiBaat के 118वें एपिसोड को संबोधित करेंगे। लाइव देखें: https://www.youtube.com/live/Di-GyUIU72U?si=4lDtrHgq-N_XnOoM
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  • मणिपुर में पूर्व गृह सचिव अजय भल्ला और मणिपुर में उग्रवादी सप्लायर मिजोरम में जनरल वीके सिंह को राज्यपाल बनाये जाते ही पूर्वोत्तर को अशांत रखने के मंसूबे वाली बाहरी शक्तियों के साथ उनके एजेंट राहुल, कांग्रेस और इनके इकोसिस्टम के मंसूबे हमेशा के लिए खत्म हुए।
    मणिपुर में पूर्व गृह सचिव अजय भल्ला और मणिपुर में उग्रवादी सप्लायर मिजोरम में जनरल वीके सिंह को राज्यपाल बनाये जाते ही पूर्वोत्तर को अशांत रखने के मंसूबे वाली बाहरी शक्तियों के साथ उनके एजेंट राहुल, कांग्रेस और इनके इकोसिस्टम के मंसूबे हमेशा के लिए खत्म हुए।
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  • बुरी तरह फंस सकती है बांग्लादेश सरकार!

    हिंदुओं पर हमलों को लेकर मुसीबत में फंसी बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार!

    800 पेजों के सबूत संग इंटरनेशनल कोर्ट पहुंचा मामला।

    बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर हिन्दुओं का नरसंहार हुआ है!

    अवामी लीग के नेता और पूर्व मेयर ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का रुख किया है।

    आवामी लीग के नेता ने अपने कहा कि बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर नरसंहार हुआ है।

    शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और 61 अन्य के खिलाफ नीदरलैंड स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) का रुख किया है।
    बुरी तरह फंस सकती है बांग्लादेश सरकार! हिंदुओं पर हमलों को लेकर मुसीबत में फंसी बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार! 800 पेजों के सबूत संग इंटरनेशनल कोर्ट पहुंचा मामला। बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर हिन्दुओं का नरसंहार हुआ है! अवामी लीग के नेता और पूर्व मेयर ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का रुख किया है। आवामी लीग के नेता ने अपने कहा कि बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर नरसंहार हुआ है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और 61 अन्य के खिलाफ नीदरलैंड स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) का रुख किया है।
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  • जिन ईसाई देशों ने सदियों तक भारत को लूटा, स्वतंत्रता के बाद उन्हीं के पास सोना जमा कर दिया गया! जानें कैसे देश का धन वापस ला रही है नरेंद्र मोदी सरकार। देखें पूरा वीडियो: https://youtu.be/d8ZauIhcFD4?si=ytlTF0ZBJigvD_p_

    #Dhanteras #धनतेरस #धनत्रयोदशी
    जिन ईसाई देशों ने सदियों तक भारत को लूटा, स्वतंत्रता के बाद उन्हीं के पास सोना जमा कर दिया गया! जानें कैसे देश का धन वापस ला रही है नरेंद्र मोदी सरकार। देखें पूरा वीडियो: https://youtu.be/d8ZauIhcFD4?si=ytlTF0ZBJigvD_p_ #Dhanteras #धनतेरस #धनत्रयोदशी
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  • नरेंद्र मोदी 1995 में हरियाणा प्रभारी बने और 2001 में गुजरात के सीएम बनने तक रहे। तब हरियाणा में भाजपा को खड़ा करने के अभियान में मोदी के इस्तेमाल के लिए जो कम्प्यूटर मनोहर लाल खट्टर लाये थे- नायब सिंह सैनी उस कम्यूटर के ऑपरेटर थे।

    भाजपा का ऐसा परिवारवाद कितना अच्छा है!
    नरेंद्र मोदी 1995 में हरियाणा प्रभारी बने और 2001 में गुजरात के सीएम बनने तक रहे। तब हरियाणा में भाजपा को खड़ा करने के अभियान में मोदी के इस्तेमाल के लिए जो कम्प्यूटर मनोहर लाल खट्टर लाये थे- नायब सिंह सैनी उस कम्यूटर के ऑपरेटर थे। भाजपा का ऐसा परिवारवाद कितना अच्छा है!
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  • बंगाल में चौंकाने वाली घटना!

    बंदूक की नोंक पर IAS को पत्नी से रेप!

    14 जुलाई की रात 11.30 बजे और फिर अगले दिन सुबह 6.30 बजे आरोपी उनके घर में घुसकर सिर पर बंदूकर रखकर रेप किया।

    बंगाल पुलिस ने इस मामले में अबतक कोई कर्रवाई नहीं की।

    अब कोलकाता हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच डिप्टी कमिश्नर लेवL के अधिकारी को सौंपा है।

    पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश कोर्ट ने दिया है।
    बंगाल में चौंकाने वाली घटना! बंदूक की नोंक पर IAS को पत्नी से रेप! 14 जुलाई की रात 11.30 बजे और फिर अगले दिन सुबह 6.30 बजे आरोपी उनके घर में घुसकर सिर पर बंदूकर रखकर रेप किया। बंगाल पुलिस ने इस मामले में अबतक कोई कर्रवाई नहीं की। अब कोलकाता हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच डिप्टी कमिश्नर लेवL के अधिकारी को सौंपा है। पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश कोर्ट ने दिया है।
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  • RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार

    कांग्रेस के शाशन काल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमे अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था.

    ये स्थिति थी भारतीय इकॉनमी की.

    मुझे याद है नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को वो दिन भी देखना पड़ा जब भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था .....

    राजीव गान्धी के शासन का में देश की तिजोरी खाली हो चुकी थी.

    और तभी प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे के आतंकियों ने कर दी थी..

    चन्द्रशेखर तब नए नए प्रधान मंत्री बने थे....तिजोरि खाली थी. वे घबरा गए. करें तो क्या करें.

    Reddy लिखते हैं कि पुरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था ..राजीव शासनकाल ने कोई रोज़गार नहीं दिया था.

    नया उद्योग धन्धा नहीं ....एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास जगह से NOC लेकर आना पड़ता था .

    कांग्रेस द्वारा स्थापीत लाइसेंस परमिट के उस दौर में चारो तरफ बेरोज़गारी और हताशा का अलाम था.....

    दूसरी तरफ देश में मंडल और कमंडल की लड़ाई छेड़ी हुई थी ......

    अस्सी से नब्बे के दशक तक देश में कांग्रेस ने Economy को ख़त्म कर दिया था ......उसी दौरान बोफोर्स तोपों में दलाली का मामला सामने आया .....

    किताब में Reddy लिखते हैं कि गाँधी परिवार की अथाह लूट ने देश की अर्थ व्यवस्था को रसातल में पंहुचा दिया.

    Reddy अपनी किताब में लिखते हैं कि उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया ... हालात ये हो गए थे कि देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था.

    स्थिती कितनी भयानक थी इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिये की भारत के पास तब केवल 1.1 अरब डालर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा हुआ था .

    तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड
    में गिरवी रखा था .....

    RBI Governor Reddy लिखते हैं कि उस समय भी एक दिलचस्प और भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना घटी ......

    हुआ यह कि RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुचना था. ये वो दौर था जब मोबाइल तो होते नहीं थे और लैंड लाइन भी सिमित मात्रा में हुआ करती थी.

    RBI Ex Governor Reddy अपनी किताब में लिखते हैं कि नयी दिल्ली स्थित RBI का इतना बुरा हाल था की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर एक वैन द्वारा पहुंचाया जाना था . वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था .

    लेकिन नब्बे के दशक में भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था और RBI कितनी लचर स्थिति में थी , इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 47 टन सोना लेकर एक बेहद पुरानी RBI की निजि वैन महज़ 2 सुरक्षा गार्ड्स के साथ एयर पोर्ट पर भेजी गयी थी उसके दो टायर आधे रास्ते में ही पंचर हो गए .

    टायर पंचर होते ही उन 2 सुरक्षा गार्ड्स ने उस 47 टन सोने से भरी वैन को घेर लिया .

    खेर बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुचा और ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये कर्ज़ दिये .

    इस घटना का वर्णन तबके RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी ने अपनी पुस्तक ADVISE AND DECENT में किया है ............


    भारतीय अर्थ व्यवस्था से जुडी इस पुरानी मन को दुखी करने वाली घटना का उदाहरण मैंने इस लिए दिया ताकि लोगों को पता चले कि कांग्रेस के जो बेशर्म नेता मोदी के ऊपर देश की अर्थ व्यवस्था चौपट करने का इल्जाम लगाते हैं, उस महान गाँधी परिवार की अय्याशी की वजह से ही देश को अपना सोना महज़ 40 करोड़ का कर्ज पाने के लिए गिरवी रखना पड़ा था .

    किसी देश के लिए इससे ज्यादा अपमान और शर्म की बात क्या हो सकती है .

    मुझे बेहद हँसी , हैरानी और गुस्सा आता है जब देश को महज़ 40 करोड़ रुपये के लिए गिरवी रखने वाले लोग कहते हैं कि मोदी ने भारत की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया .

    All links are available on Google to corroborate all facts. Please google .

    This is reality of Congress
    RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार कांग्रेस के शाशन काल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमे अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था. ये स्थिति थी भारतीय इकॉनमी की. मुझे याद है नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को वो दिन भी देखना पड़ा जब भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था ..... राजीव गान्धी के शासन का में देश की तिजोरी खाली हो चुकी थी. और तभी प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे के आतंकियों ने कर दी थी.. चन्द्रशेखर तब नए नए प्रधान मंत्री बने थे....तिजोरि खाली थी. वे घबरा गए. करें तो क्या करें. Reddy लिखते हैं कि पुरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था ..राजीव शासनकाल ने कोई रोज़गार नहीं दिया था. नया उद्योग धन्धा नहीं ....एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास जगह से NOC लेकर आना पड़ता था . कांग्रेस द्वारा स्थापीत लाइसेंस परमिट के उस दौर में चारो तरफ बेरोज़गारी और हताशा का अलाम था..... दूसरी तरफ देश में मंडल और कमंडल की लड़ाई छेड़ी हुई थी ...... अस्सी से नब्बे के दशक तक देश में कांग्रेस ने Economy को ख़त्म कर दिया था ......उसी दौरान बोफोर्स तोपों में दलाली का मामला सामने आया ..... किताब में Reddy लिखते हैं कि गाँधी परिवार की अथाह लूट ने देश की अर्थ व्यवस्था को रसातल में पंहुचा दिया. Reddy अपनी किताब में लिखते हैं कि उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया ... हालात ये हो गए थे कि देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था. स्थिती कितनी भयानक थी इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिये की भारत के पास तब केवल 1.1 अरब डालर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा हुआ था . तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखा था ..... RBI Governor Reddy लिखते हैं कि उस समय भी एक दिलचस्प और भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना घटी ...... हुआ यह कि RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुचना था. ये वो दौर था जब मोबाइल तो होते नहीं थे और लैंड लाइन भी सिमित मात्रा में हुआ करती थी. RBI Ex Governor Reddy अपनी किताब में लिखते हैं कि नयी दिल्ली स्थित RBI का इतना बुरा हाल था की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर एक वैन द्वारा पहुंचाया जाना था . वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था . लेकिन नब्बे के दशक में भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था और RBI कितनी लचर स्थिति में थी , इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 47 टन सोना लेकर एक बेहद पुरानी RBI की निजि वैन महज़ 2 सुरक्षा गार्ड्स के साथ एयर पोर्ट पर भेजी गयी थी उसके दो टायर आधे रास्ते में ही पंचर हो गए . टायर पंचर होते ही उन 2 सुरक्षा गार्ड्स ने उस 47 टन सोने से भरी वैन को घेर लिया . खेर बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुचा और ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये कर्ज़ दिये . इस घटना का वर्णन तबके RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी ने अपनी पुस्तक ADVISE AND DECENT में किया है ............ भारतीय अर्थ व्यवस्था से जुडी इस पुरानी मन को दुखी करने वाली घटना का उदाहरण मैंने इस लिए दिया ताकि लोगों को पता चले कि कांग्रेस के जो बेशर्म नेता मोदी के ऊपर देश की अर्थ व्यवस्था चौपट करने का इल्जाम लगाते हैं, उस महान गाँधी परिवार की अय्याशी की वजह से ही देश को अपना सोना महज़ 40 करोड़ का कर्ज पाने के लिए गिरवी रखना पड़ा था . किसी देश के लिए इससे ज्यादा अपमान और शर्म की बात क्या हो सकती है . मुझे बेहद हँसी , हैरानी और गुस्सा आता है जब देश को महज़ 40 करोड़ रुपये के लिए गिरवी रखने वाले लोग कहते हैं कि मोदी ने भारत की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया . All links are available on Google to corroborate all facts. Please google . This is reality of Congress
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  • कपिल सिब्बल की बेहद शर्मनाक हरकत!

    सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हंसने लगे कपिल सिब्बल!

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उसी समय कपिल सिब्बल को लगाई फटकार!

    कहा, "एक लड़की का रेप हुआ है, उसकी हत्या हुई है, उसके माता-पिता रो रहे हैं आप कोर्ट में हंस रहे हैं, आपको शर्म आनी चाहिए।"
    कपिल सिब्बल की बेहद शर्मनाक हरकत! सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हंसने लगे कपिल सिब्बल! सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उसी समय कपिल सिब्बल को लगाई फटकार! कहा, "एक लड़की का रेप हुआ है, उसकी हत्या हुई है, उसके माता-पिता रो रहे हैं आप कोर्ट में हंस रहे हैं, आपको शर्म आनी चाहिए।"
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  • पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग के बारे में कई लेख सामने आ रहे है। राष्ट्रपति शासन ना लगाने के लिए वह लोग प्रधानमंत्री मोदी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे है, जो अपने आप को राष्ट्रवादी कहते है। जैसे की राहुल-अखिलेश-स्टालिन-केजरीवाल सरकार राष्ट्रपति शासन लगा देती?

    फिर भी, एक प्रश्न पर विचार करते है? सोनिया सरकार ने इशरत जहाँ या फिर सोहराबुद्दीन शेख की पुलिस मुठभेड़ में हत्या के बाद नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं किया? आखिरकार सोनिया की प्रिय तीस्ता इत्यादि ऐसी मांग कर रही थी? क्योंकि सोनिया एवं उनके समर्थको का मानना था कि इशरत एवं सोहराबुद्दीन निर्दोष थे।

    वर्ष 1994 के बाद कितने प्रांतो में अनुच्छेद 352 (इमरजेंसी) या अनुच्छेद 356 (राज्य सरकार बर्खास्त करना) लगाया गया था?

    कारण यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के बोम्मई निर्णय के द्वारा किसी राज्य में अनुच्छेद 356 लागू करने के लिए बहुत ऊँची सीमा तय कर दी है।

    निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कानून और व्यवस्था की समस्या संवैधानिक तंत्र टूटने के समान नहीं है। दंगे, विरोध प्रदर्शन या आपराधिक गतिविधि या अन्य अशांति का तात्पर्य राज्य के संवैधानिक ढांचे का पूरी तरह से टूटना नहीं है।

    अनुच्छेद 356 लागू करने के लिए राज्य में संवैधानिक तंत्र का पूरी तरह से टूटना ज़रूरी है। संवैधानिक तंत्र के टूटने में ऐसी स्थितियाँ शामिल हैं जहाँ राज्य का शासन पंगु हो जाता है और सरकार असंवैधानिक तरीके से काम कर रही होती है; या संविधान के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने में विफलता, जैसे कि विधानसभा को बुलाने में विफल होना या न्यायिक निर्णयों को लागू करने से मना करना या राज्य सरकार का कोई ऐसा कार्य जो देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालता है (अर्थात अलग राष्ट्र की घोषणा)।

    न्यायालय ने माना कि कानून और व्यवस्था की समस्याओं को प्रबंधित करना आम तौर पर राज्य सरकार की क्षमता में होता है। यदि राज्य सरकार अन्यथा संवैधानिक रूप से कार्य कर रही है और व्यवस्था को बहाल करने का प्रयास कर रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाने का कोई औचित्य नहीं है। कानून और व्यवस्था के मुद्दे, भले ही गंभीर हों, अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने का औचित्य नहीं देते हैं।

    इसलिए, अनुच्छेद 356 को प्रधानमंत्री की इच्छा से अब लागू नहीं किया जा सकता है। इसे अदालतें कुछ ही घंटो में निरस्त कर देंगी। ऐसे केसो की सुनवाई रात में भी की गई है।

    राजीव एवं इंदिरा ने अनुच्छेद 356 को इतनी बार लागू किया था क्योंकि तब बोम्मई निर्णय नहीं था। उनके द्वारा अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग के कारण था कि सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 356 की व्यापक व्याख्या करनी पड़ी।

    रही बात अनुच्छेद 352 (इमरजेंसी) लगाने की, तो इंदिरा की इमरजेंसी के बाद मोरारजी सरकार ने संविधान में संशोधन करके "आंतरिक गड़बड़ी" वाला वाक्यांश हटाकर "सशस्त्र विद्रोह" वाक्यांश डाल दिया था। अर्थात, अब भारत में या किसी राज्य में या खंड में इमरजेंसी तभी लगाई जा सकती है जब वाह्य आक्रमण या आतंरिक सशस्त्र विद्रोह हो।

    इसके अलावा, केंद्र तब तक केंद्रीय सुरक्षा बल नहीं भेज सकता जब तक कि राज्य सरकार इसके लिए अनुरोध न करे।

    आप सोशल मीडिया पर अपशब्द लिखने के लिए स्वतंत्र है। क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 19 कुछ सीमाओं के अंतर्गत आपको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूलभत अधिकार देता है।

    लेकिन राष्ट्र मेरी या आपकी व्यक्तिगत राय से नहीं चलता। यह संविधान के अनुसार चलता है।
    पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग के बारे में कई लेख सामने आ रहे है। राष्ट्रपति शासन ना लगाने के लिए वह लोग प्रधानमंत्री मोदी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे है, जो अपने आप को राष्ट्रवादी कहते है। जैसे की राहुल-अखिलेश-स्टालिन-केजरीवाल सरकार राष्ट्रपति शासन लगा देती? फिर भी, एक प्रश्न पर विचार करते है? सोनिया सरकार ने इशरत जहाँ या फिर सोहराबुद्दीन शेख की पुलिस मुठभेड़ में हत्या के बाद नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं किया? आखिरकार सोनिया की प्रिय तीस्ता इत्यादि ऐसी मांग कर रही थी? क्योंकि सोनिया एवं उनके समर्थको का मानना था कि इशरत एवं सोहराबुद्दीन निर्दोष थे। वर्ष 1994 के बाद कितने प्रांतो में अनुच्छेद 352 (इमरजेंसी) या अनुच्छेद 356 (राज्य सरकार बर्खास्त करना) लगाया गया था? कारण यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के बोम्मई निर्णय के द्वारा किसी राज्य में अनुच्छेद 356 लागू करने के लिए बहुत ऊँची सीमा तय कर दी है। निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कानून और व्यवस्था की समस्या संवैधानिक तंत्र टूटने के समान नहीं है। दंगे, विरोध प्रदर्शन या आपराधिक गतिविधि या अन्य अशांति का तात्पर्य राज्य के संवैधानिक ढांचे का पूरी तरह से टूटना नहीं है। अनुच्छेद 356 लागू करने के लिए राज्य में संवैधानिक तंत्र का पूरी तरह से टूटना ज़रूरी है। संवैधानिक तंत्र के टूटने में ऐसी स्थितियाँ शामिल हैं जहाँ राज्य का शासन पंगु हो जाता है और सरकार असंवैधानिक तरीके से काम कर रही होती है; या संविधान के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने में विफलता, जैसे कि विधानसभा को बुलाने में विफल होना या न्यायिक निर्णयों को लागू करने से मना करना या राज्य सरकार का कोई ऐसा कार्य जो देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालता है (अर्थात अलग राष्ट्र की घोषणा)। न्यायालय ने माना कि कानून और व्यवस्था की समस्याओं को प्रबंधित करना आम तौर पर राज्य सरकार की क्षमता में होता है। यदि राज्य सरकार अन्यथा संवैधानिक रूप से कार्य कर रही है और व्यवस्था को बहाल करने का प्रयास कर रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाने का कोई औचित्य नहीं है। कानून और व्यवस्था के मुद्दे, भले ही गंभीर हों, अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने का औचित्य नहीं देते हैं। इसलिए, अनुच्छेद 356 को प्रधानमंत्री की इच्छा से अब लागू नहीं किया जा सकता है। इसे अदालतें कुछ ही घंटो में निरस्त कर देंगी। ऐसे केसो की सुनवाई रात में भी की गई है। राजीव एवं इंदिरा ने अनुच्छेद 356 को इतनी बार लागू किया था क्योंकि तब बोम्मई निर्णय नहीं था। उनके द्वारा अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग के कारण था कि सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 356 की व्यापक व्याख्या करनी पड़ी। रही बात अनुच्छेद 352 (इमरजेंसी) लगाने की, तो इंदिरा की इमरजेंसी के बाद मोरारजी सरकार ने संविधान में संशोधन करके "आंतरिक गड़बड़ी" वाला वाक्यांश हटाकर "सशस्त्र विद्रोह" वाक्यांश डाल दिया था। अर्थात, अब भारत में या किसी राज्य में या खंड में इमरजेंसी तभी लगाई जा सकती है जब वाह्य आक्रमण या आतंरिक सशस्त्र विद्रोह हो। इसके अलावा, केंद्र तब तक केंद्रीय सुरक्षा बल नहीं भेज सकता जब तक कि राज्य सरकार इसके लिए अनुरोध न करे। आप सोशल मीडिया पर अपशब्द लिखने के लिए स्वतंत्र है। क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 19 कुछ सीमाओं के अंतर्गत आपको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूलभत अधिकार देता है। लेकिन राष्ट्र मेरी या आपकी व्यक्तिगत राय से नहीं चलता। यह संविधान के अनुसार चलता है।
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  • #Bangladesh में हिन्दुओं का नरसंहार जारी है, सेना और सरकार कर रही एथनिक क्लेंसिंग

    खबर आ रही है की इस्लामिक आतंकवादियों ने पंचागढ़ जिला में हिन्दुओं 2 गांव बरुआपारा और लक्षीपारा पूरी तरह जला दिए हैं

    पत्रकार के भेष में घूम रहे आतंकवादी अब अपने जेहादी भाईयो को बचाने के लिए अभी कर फायर देने निकल पड़ेंगे और कहेंगे कुछ हुआ ही नहीं सब झूठ है, एक जेहादी जिसने कत्लेआम किया होगा उसे खड़ा कर वीडियो बनवाया जायेगा जो कहेगा नही यहां तो सब ठीक है

    #AllEyesOnBangladeshiHindus
    #Bangladesh में हिन्दुओं का नरसंहार जारी है, सेना और सरकार कर रही एथनिक क्लेंसिंग खबर आ रही है की इस्लामिक आतंकवादियों ने पंचागढ़ जिला में हिन्दुओं 2 गांव बरुआपारा और लक्षीपारा पूरी तरह जला दिए हैं पत्रकार के भेष में घूम रहे आतंकवादी अब अपने जेहादी भाईयो को बचाने के लिए अभी कर फायर देने निकल पड़ेंगे और कहेंगे कुछ हुआ ही नहीं सब झूठ है, एक जेहादी जिसने कत्लेआम किया होगा उसे खड़ा कर वीडियो बनवाया जायेगा जो कहेगा नही यहां तो सब ठीक है #AllEyesOnBangladeshiHindus
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  • एक मेडल छिटकने के खबर से बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार की सारी खबरें सारे न्यूज चैनलों से गायब हो गईं।

    वाकई हिंदुओं की जान बहुत सस्ती है।
    एक मेडल छिटकने के खबर से बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार की सारी खबरें सारे न्यूज चैनलों से गायब हो गईं। वाकई हिंदुओं की जान बहुत सस्ती है।
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  • Sab Mile huwe hey jee
    बांग्लादेशी हिन्दुओ की हत्या पर :

    TMC - 0 ट्वीट
    DMK - 0 ट्वीट
    AAP - 0 ट्वीट
    BSP - 0 ट्वीट
    RJD - 0 ट्वीट
    MIM - 0 ट्वीट
    CPI - 0 ट्वीट
    कांग्रेस पार्टी - 0 ट्वीट
    NCP -शरद - 0 ट्वीट
    शिवसेना (उद्धव) - 0 ट्वीट
    समाजवादी पार्टी - 0 ट्वीट

    राहुल गांधी - 0 ट्वीट
    असद ओवैसी - 0 ट्वीट
    प्रियंका गांधी - 0 ट्वीट
    संजय सिंह - 0 ट्वीट
    उद्धव ठाकरे - 0 ट्वीट
    संजय राउत - 0 ट्वीट
    तेजस्वी यादव - 0 ट्वीट
    ममता बनर्जी - 0 ट्वीट
    अखिलेश यादव - 0 ट्वीट
    मल्लिकार्जुन खड़गे - 0 ट्वीट
    Sab Mile huwe hey jee बांग्लादेशी हिन्दुओ की हत्या पर : TMC - 0 ट्वीट DMK - 0 ट्वीट AAP - 0 ट्वीट BSP - 0 ट्वीट RJD - 0 ट्वीट MIM - 0 ट्वीट CPI - 0 ट्वीट कांग्रेस पार्टी - 0 ट्वीट NCP -शरद - 0 ट्वीट शिवसेना (उद्धव) - 0 ट्वीट समाजवादी पार्टी - 0 ट्वीट राहुल गांधी - 0 ट्वीट असद ओवैसी - 0 ट्वीट प्रियंका गांधी - 0 ट्वीट संजय सिंह - 0 ट्वीट उद्धव ठाकरे - 0 ट्वीट संजय राउत - 0 ट्वीट तेजस्वी यादव - 0 ट्वीट ममता बनर्जी - 0 ट्वीट अखिलेश यादव - 0 ट्वीट मल्लिकार्जुन खड़गे - 0 ट्वीट
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  • राहुल गांधी के साथ ही सोनिया परिवार अपने अपराध और उसकी तय सजा क्या है इसे अच्छी तरह जानते हैं। नरेंद्र मोदी सरकार के आर्थिक अपराध में जीरो टॉलरेंस की नीति भी उन्हें बेहतर पता है। राहुल को रात में ईडी रेड और गिरफ्तारी के सपने आना उनका अपना प्रारब्ध है।
    राहुल गांधी के साथ ही सोनिया परिवार अपने अपराध और उसकी तय सजा क्या है इसे अच्छी तरह जानते हैं। नरेंद्र मोदी सरकार के आर्थिक अपराध में जीरो टॉलरेंस की नीति भी उन्हें बेहतर पता है। राहुल को रात में ईडी रेड और गिरफ्तारी के सपने आना उनका अपना प्रारब्ध है।
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  • मैं चाहता हूँ देश के हर राज्य की सरकार और मंत्री इस तरह Aggressive stance रखे.

    कर्नाटक में Local लोगों के लिए Private Jobs में Reservation का कानून बनाया जा रहा था.. जिसके बाद बड़ा हल्ला मचा और NASSCOM ने भी इस पर आपत्ति जताई... और साथ ही कहा कि ऐसा होने से कंपनियों को दूसरे राज्यों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

    आंध्र प्रदेश के मंत्री और CM नायडू के बेटे नरा लोकेश ने इस अवसर का लाभ उठा कर बताया कि वह क्या क्या सुविधायें देंगे, अगर कंपनिया उनके प्रदेश में आएं.

    यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है.... आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से आपके राजनीतिक अलगाव हो सकते हैं... लेकिन यह बात मानने में कोई शक नहीं कि हैदराबाद को IT hub, Manufacturing hub बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ रहा है.

    जिस ज़माने में उत्तर भारत के मुख्यमंत्री जाति पाती के झगड़ो में और फ़टे टूटे infra से जूझ रहे थे.. उस ज़माने में नायडू अमेरिका जा कर Bill Gates और अन्य IT Leaders से मिला करते थे.... उस ज़माने में नायडू ही थे जो विदेशी दौरे पर सरकारी अफसरों के बजाये Professionals को ले कर जाते थे... और वहाँ की सरकारों और Corporates के साथ उनकी meetings हुआ करती थी.

    खैर बाद में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ, तेलंगाना बना और हैदराबाद वहाँ की राजधानी बन गया..... आंध्र प्रदेश अब फिर से शुरआत कर रहा है... अमरावती को बसाना है.. वहीं उनके पास विशाखापत्तनम जैसा शहर भी है.. जहाँ असीमित सम्भावनाएं हैं.

    नायडू को फिर से 25-30 साल पहले जैसा काम करना पड़ेगा... और Corporates के लिए Red Carpet बिछाना पड़ेगा.... यह कदम आगे चल कर लाखों लोगों के लिये नौकरी और आजीविका का इंतजाम करेंगे.

    वहीं ऐसे Agrressive Stance रखने से कोई भी राज्य Private Sector में Reservation जैसा बेवकूफाना कदम नहीं उठा पायेगा.

    पिछले दिनों यही approach उत्तर प्रदेश में भी दिखी थी... जब पंजाब से आये कारोबारीयों से योगी आदित्यनाथ जी बार बार मिले.. उन्हें बेहतर सुविधाएं और Tax Benefit दिए.. जिसके बाद सैंकड़ो कम्पनिया पंजाब से उत्तरप्रदेश shift हो चुकी हैं.

    उससे पहले गुजरात ऐसे ही कई project महाराष्ट्र से ले चुका है.

    देश को आगे बढ़ाना है.. करोड़ों लोगों को रोजगार देना है... तो ऐसी ही Aggressive Strategy सबको अपनानी पड़ेगी.
    Dr GP
    मैं चाहता हूँ देश के हर राज्य की सरकार और मंत्री इस तरह Aggressive stance रखे. कर्नाटक में Local लोगों के लिए Private Jobs में Reservation का कानून बनाया जा रहा था.. जिसके बाद बड़ा हल्ला मचा और NASSCOM ने भी इस पर आपत्ति जताई... और साथ ही कहा कि ऐसा होने से कंपनियों को दूसरे राज्यों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. आंध्र प्रदेश के मंत्री और CM नायडू के बेटे नरा लोकेश ने इस अवसर का लाभ उठा कर बताया कि वह क्या क्या सुविधायें देंगे, अगर कंपनिया उनके प्रदेश में आएं. यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है.... आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से आपके राजनीतिक अलगाव हो सकते हैं... लेकिन यह बात मानने में कोई शक नहीं कि हैदराबाद को IT hub, Manufacturing hub बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ रहा है. जिस ज़माने में उत्तर भारत के मुख्यमंत्री जाति पाती के झगड़ो में और फ़टे टूटे infra से जूझ रहे थे.. उस ज़माने में नायडू अमेरिका जा कर Bill Gates और अन्य IT Leaders से मिला करते थे.... उस ज़माने में नायडू ही थे जो विदेशी दौरे पर सरकारी अफसरों के बजाये Professionals को ले कर जाते थे... और वहाँ की सरकारों और Corporates के साथ उनकी meetings हुआ करती थी. खैर बाद में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ, तेलंगाना बना और हैदराबाद वहाँ की राजधानी बन गया..... आंध्र प्रदेश अब फिर से शुरआत कर रहा है... अमरावती को बसाना है.. वहीं उनके पास विशाखापत्तनम जैसा शहर भी है.. जहाँ असीमित सम्भावनाएं हैं. नायडू को फिर से 25-30 साल पहले जैसा काम करना पड़ेगा... और Corporates के लिए Red Carpet बिछाना पड़ेगा.... यह कदम आगे चल कर लाखों लोगों के लिये नौकरी और आजीविका का इंतजाम करेंगे. वहीं ऐसे Agrressive Stance रखने से कोई भी राज्य Private Sector में Reservation जैसा बेवकूफाना कदम नहीं उठा पायेगा. पिछले दिनों यही approach उत्तर प्रदेश में भी दिखी थी... जब पंजाब से आये कारोबारीयों से योगी आदित्यनाथ जी बार बार मिले.. उन्हें बेहतर सुविधाएं और Tax Benefit दिए.. जिसके बाद सैंकड़ो कम्पनिया पंजाब से उत्तरप्रदेश shift हो चुकी हैं. उससे पहले गुजरात ऐसे ही कई project महाराष्ट्र से ले चुका है. देश को आगे बढ़ाना है.. करोड़ों लोगों को रोजगार देना है... तो ऐसी ही Aggressive Strategy सबको अपनानी पड़ेगी. Dr GP
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  • कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी का संयुक्त दल्ला है चर्बी गोला स्वरूपानंद का शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद, एक नंबर का मक्कार और झूंठा। पहले 2019 में मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा था, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का विरोध किया, योगी जी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सवाल उठाए, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का विरोध किया और अनेक अनर्गल बातें कहीं, फिर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के साथ जो हुआ उसे हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पाप बता डाला और अब केदारनाथ मंदिर में 228 किलो सोना चोरी होने का झूंठ फैला रहा है ढोंगी मक्कार !!!
    Dr GP
    कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी का संयुक्त दल्ला है चर्बी गोला स्वरूपानंद का शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद, एक नंबर का मक्कार और झूंठा। पहले 2019 में मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा था, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का विरोध किया, योगी जी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सवाल उठाए, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का विरोध किया और अनेक अनर्गल बातें कहीं, फिर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के साथ जो हुआ उसे हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पाप बता डाला और अब केदारनाथ मंदिर में 228 किलो सोना चोरी होने का झूंठ फैला रहा है ढोंगी मक्कार !!! Dr GP
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  • एक बार फिर से सेना के विरुद्ध खड़ी हो गई है कांग्रेस


    एक अग्निवीर सैनिक की मृत्यु पर उनके परिवार को दिए जाने वाले पैसे के मामले पर कांग्रेस ने इतना जहरीला झूठ बोला कि खुद सेना को सामने आ कर उसका खंडन करना पड़ा।

    आप सोचिये... यह कितनी बड़ी बात है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता द्वारा संसद में एक बहुत बड़ा झूठ बोला गया, वह भी इतने संवेदनशील मामले पर... जिसमें सरकार, रक्षा मंत्रालय और सेना को लपेटा गया... और अंततः सेना को खुद इस झूठ को उजागर करने के लिए सामने आना पड़ा।

    आपको लगा होगा यह पहली बार हुआ है... लेकिन ऐसा है नहीं। आज कांग्रेस सेना के सम्मान के लिए हल्ला मचा रही है... लेकिन सच जानते हैं क्या है?

    कांग्रेस ने आजादी के बाद जिस संस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, जिस संस्था को सबसे ज्यादा बेइज्जत किया है... वह है भारतीय सेना।

    चलिए आपको बताते हैं कुछ अनजान किस्से... जो शायद आपको नहीं पता हों... कैसे और कहाँ कांग्रेस ने सेना के सम्मान को तार तार किया है।

    तीन मूर्ति भवन तो आपने सुना ही होगा... यह 1930 में बन कर तैयार हुआ था... इसका नाम था फ्लैग स्टाफ हाउस... जिसे तत्कालीन भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ के लिए बनाया गया... यानी तब के सेना अध्यक्ष के लिए।

    और जैसे ही आजादी मिली... नेहरू जी धड़धड़ाते हुए इस 30 एकड़ के विशाल भवन में घुस गए और इसे अपना घर बना लिया... सेना को तुरंत बाहर निकाल दिया गया।

    उसके बाद यहाँ नेहरू मेमोरियल बना दिया, प्लेनेटरियम बना दिया, लाइब्रेरी बना दी, म्यूजियम बना दिया... कुल मिलाकर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया।

    वो तो भला हो मोदी का... जिन्होंने इस सम्पत्ति को नेहरू गाँधी परिवार के चंगुल से निकाला... और इसे अब प्रधानमंत्री संग्रहालय बना दिया गया है... जहाँ सभी प्रधानमंत्रियों के काम के बारे में बताया जाता है।

    आजादी के पहले हमारे देश के जितने भी सैनिक मारे गए थे युद्ध में... उनके लिए इंडिया गेट बनाया गया था... लेकिन उसके बाद बलिदान हुए सैनिकों के लिए कुछ नहीं था... 50-60 के दशक से ही सेना एक वॉर मेमोरियल बनाने की मांग करती आई थी... जिसे कांग्रेस सरकार ने कभी नहीं माना।

    इस काम के लिए भी मोदी जी ही आगे आये और वॉर मेमोरियल बनवाया।

    हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी तो सेना को कभी चाहते ही नहीं थे... उनके हिसाब से भारत जैसे शांतिप्रिय देश को सेना नहीं चाहिए... इतना भारी भरकम खर्च नहीं करना चाहिए... उनकी इसी सोच के कारण उनके सेना के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे।

    आजादी के बाद भारतीय सेना का नेतृत्व करने के लिए तीन बड़े अफसर तैयार थे... जिनमें से एक थे तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल करियप्पा... लेकिन नेहरू जी ने चुना था जनरल रॉय बुचर को... जो जनवरी 1949 तक भारतीय सेना के चीफ रहे।

    भारत के फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ भी नेहरू जी ने कोई अच्छा व्यवहार नहीं किया। जब 1947-48 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई हुई तो नेहरू जी UN पहुंच गए, जबकि 2-3 दिन और लड़ाई चलती तो POK, गिलगित बल्टीस्तान भारत के पास होते।

    जब तत्कालीन जनरल करियप्पा ने इस बारे में नेहरू जी से पूछा, तो उन्हें दुनिया जहाँ की राजनीति का ज्ञान मिला।

    1951 में जब NEFA, जिसे हम अरुणाचल प्रदेश के नाम से जानते हैं... वहाँ कुछ चीनी सैनिक पकड़े गए थे, जिनके पास से कुछ आपत्तिजनक नक़्शे और जानकारियां मिली थी... जनरल करियप्पा ने यह बात जब नेहरू जी को बताई... तो उन्हें यह कह कर चुप करा दिया गया, कि अब क्या तुम हमें बताओगे कि हम किसे अपना दोस्त समझें और किसे दुश्मन।

    यह सारी जानकारियां फील्ड मार्शल करियप्पा के बेटे एयर मार्शल केसी करियप्पा ने उनकी बायोग्राफी में लिखी हैं।

    नेहरू जी ने फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ बहुत खेल किये... उन्हें परेशान किया... उनकी सिफारिश नहीं मानते थे... और जब वह इस्तीफ़ा देने को कहते थे तो टाल मटोल करते थे।

    ऐसे ही नेहरू जी ने जनरल थिमैया जी के साथ किया... उन्हें गुस्सा हो कर इस्तीफ़ा देने को कहा... और कुछ ही घंटे बाद वापस लेने को कहा।

    1962 के युद्ध में भी नेहरू जी ने अपने मनमुताबिक लोगों को युद्ध की अगुवाई करने को कहा... जनरल थापर... जो करण थापर के पिता हैं... और रोमिला थापर जिनकी भतीजी थी... उन्हें आगे बढ़ाया।

    और परिणाम क्या मिला, आपको पता ही है।

    भारत द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक दुनिया के बड़े रक्षा उत्पाद देशों में आता था... मित्र देशों के लिए हमारी आयुध कारखानों से हथियार बन कर जाते थे...

    लेकिन नेहरू जी और उनके मित्र रक्षामंत्री मेनन के अनुसार तो यह सब बेकार था... उन्होंने आयुध कारखानों में हथियार की जगह चीनी मिट्टी के बर्तन... छोटे मोटे उपकरण बनवाने शुरू किये और सेना से सम्बंधित चीजें, जैसे कपड़े, जूते, मोज़े तक बनाने बंद कर दिए... और जब 1962 में युद्ध हुआ, तो हमारे पास गोलियां नहीं थीं...
    सैनिकों के लिए कपड़े नहीं थे... सर्दी से बचाव के लिए कपड़े नहीं थे... जूते मोज़े तक नहीं थे।

    1971 का युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे बड़े युद्ध में से एक था... और 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण करवाना तो बहुत बड़ा कारनामा था... जो आधुनिक इतिहास में अनूठा था। ऐसे कारनामें करने वाली आर्मी को मान सम्मान, पैसा मिलना चाहिए था... लेकिन मिला क्या?? आर्मी की OROP बंद कर दी गई।

    हमारे देश के हीरो, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को कई सालों तक सैलरी और अन्य भत्ते नहीं दिए गए... इन चीजों के लिए उन्हें लड़ना पड़ा... और बाद में उनकी मृत्यु से कुछ ही समय पहले उन्हें यह पैसा दिया गया था।

    उनकी मृत्यु पर तत्कालीन केंद्रीय सरकार ने एक रक्षा राज्यमंत्री को भेजा... अन्य कोई मंत्री नहीं गया था... उनके अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और यहाँ तक की तीनों सशस्त्र बल चीफ में से कोई नहीं गया।

    मानेकशॉ जी हमारे देश के सबसे बड़े हीरो में से एक रहे हैं... उनका कैसा सम्मान किया वो आप देख लीजिये।

    राजीव जी तो और भी आगे निकले... कहा जाता है कि भारतीय शांति रक्षा सेना को अपने अहंकार संतुष्टि के लिए श्रीलंका भेज दिया... कश्मीर जैसे ऊँचे इलाके और मैदानी इलाकों में तैनात सैनिकों को रातों रात जाफना के घने अँधेरे जंगलों में भेज दिया गया... वो भी गुरिल्ला आतंकवादियों LTTE से लड़ने के लिए।

    कभी समय हो तो जाफना विश्वविद्यालय हेलिड्रॉप के बारे में पढ़ियेगा... माना जाता है कि बिना किसी तैयारी और बेकार ख़ुफ़िया तंत्र के कारण हमारे 36 सैनिक मारे गए।

    जब हमारे सैनिकों को हेलीकाप्टर से जाफना विश्वविद्यालय में ड्रॉप किया गया... तब तक उन्हें चारों तरफ से घेर लिया गया था... और उसके बाद LTTE वालों ने उन्हें गोलियों से छिन्न भिन्न कर दिया था... एक एक सैनिक के शरीर में पचासों गोलियाँ पाई गईं थीं... इसी से समझ लीजिये यह कैसा ऑपरेशन हुआ होगा।

    कारगिल युद्ध से पहले तो हमारे सैनिकों के शव वापस घर भेजने की व्यवस्था ही नहीं होती थी... डेड बॉडी के दर्शन नहीं होते थे परिवार को।

    कारगिल युद्ध में पहली बार यह सुनिश्चित किया गया कि बलिदान हुए सैनिकों के परिवारों को उनकी डेड बॉडी तो मिलें... साथ ही कारगिल युद्ध के बाद ही मृत सैनिकों के परिवारों के लिए क्षतिपूर्ति रकम बढ़ाई गई... कई तरह की सहूलियत दी गई... बच्चों के लिए स्कूल कॉलेज में आरक्षण आदि दिया गया... परिवार को पेट्रोल पंप देने की व्यवस्था की गई।

    इस रकम को मोदी सरकार के आने के बाद और बढ़ाया गया।

    कांग्रेस को पसंद नहीं था कि मृत सैनिकों के शव उनके परिवारों को मिले... इसलिए कांग्रेस ने ताबूत घोटाले का हौवा खड़ा कर दिया... जॉर्ज फर्नांडिस जैसे बेहद ईमानदार नेता पर लांछन लगाया... और वह कई साल इस दाग़ को मिटाने के लिए लड़ते रहे...

    अंततः सुप्रीम कोर्ट ने सारे आरोप नकारे... लेकिन तब तक फर्नांडिस जी शारीरिक रूप से अक्षम हो चुके थे... उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था... वह अपने ऊपर लगे इस दाग़ को मिटने की ख़बर को समझे बिना ही दुनिया से चले गए।

    भारतीय सेना के CAOS को गली का गुंडा कहने वाला भी एक कांग्रेसी नेता ही था... शीला दीक्षित का बेटा संदीप दीक्षित।

    CAOS वीके सिंह को बदनाम करने वाले... और उन पर तख्तापलट करने का आरोप लगाने वाले भी कांग्रेस इकोसिस्टम के लोग थे।

    उरी की सर्जीकल स्ट्राइक, बालाकोट की सर्जीकल स्ट्राइक का पाकिस्तान से ज्यादा मजाक कांग्रेस वालों ने ही उड़ाया।

    चीन के साथ कभी भी झड़प होती है... तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम भारतीय सेना को बदनाम करने के लिए खड़ा होता है। कोई कहता है चीन 1000 किलोमीटर अंदर आ गया... कोई कहता है हमारे जवान निकम्मे हैं।

    हमारे देश के प्रथम CDS, जनरल बिपिन रावत का अपमान करने वाले कांग्रेस के ही लोग थे... उनकी मृत्यु पर हंसने वाले भी उसी इकोसिस्टम के लोग थे।

    मोदी ने और CDS जनरल रावत ने मिलकर मेक इन इंडिया पर जोर दिया... जितने भी हथियार दूसरे देशों से लिए, सब गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील में लिए... और जो लिए उन्हें भारत में ही उत्पादन करने और तकनीक के हस्तांतरण की शर्त के साथ लिया।

    यही कारण था कि कांग्रेस वाले CDS रावत जी से चिढ़ते थे।

    OROP के लिए सेना 1971 से इसी कांग्रेस सरकार से लड़ रही थी... 2014 में जब इन्हें लगा कि अब सरकार नहीं बनेगी... तब सेना के लोगों को रिझाने के लिए चुनाव से पहले OROP के लिए मात्र 500 करोड़ रुपए आवंटित करके गए थे मनमोहन सिंह जी।

    जबकि 500 करोड़ में तो कुछ नहीं होता...जब मोदी जो ने OROP लागू किया... तो पुराने बकाये के रूप में 10,000 करोड़ रुपए की रकम लाखों पेंशनर्स को दी गई थी... उसके बाद हर साल 7-8 हजार करोड़ का सालाना खर्च सिर्फ OROP पेंशन में होता है।
    और कांग्रेस 500 करोड़ का लॉलीपॉप दिखा कर सैनिकों के वोट खरीदना चाहती थी... है ना कमाल की बात।

    और आज यही कांग्रेस वाले सेना के सम्मान की बात करते हैं...

    खैर कांग्रेस से ज्यादा तो हमारे देश के लोग कमाल हैं... जिन्हें यह सब पता होते हुए भी शर्म नहीं आती... और अपने छोटे मोटे स्वार्थ के लिए बिक जाते हैं।
    एक बार फिर से सेना के विरुद्ध खड़ी हो गई है कांग्रेस एक अग्निवीर सैनिक की मृत्यु पर उनके परिवार को दिए जाने वाले पैसे के मामले पर कांग्रेस ने इतना जहरीला झूठ बोला कि खुद सेना को सामने आ कर उसका खंडन करना पड़ा। आप सोचिये... यह कितनी बड़ी बात है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता द्वारा संसद में एक बहुत बड़ा झूठ बोला गया, वह भी इतने संवेदनशील मामले पर... जिसमें सरकार, रक्षा मंत्रालय और सेना को लपेटा गया... और अंततः सेना को खुद इस झूठ को उजागर करने के लिए सामने आना पड़ा। आपको लगा होगा यह पहली बार हुआ है... लेकिन ऐसा है नहीं। आज कांग्रेस सेना के सम्मान के लिए हल्ला मचा रही है... लेकिन सच जानते हैं क्या है? कांग्रेस ने आजादी के बाद जिस संस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, जिस संस्था को सबसे ज्यादा बेइज्जत किया है... वह है भारतीय सेना। चलिए आपको बताते हैं कुछ अनजान किस्से... जो शायद आपको नहीं पता हों... कैसे और कहाँ कांग्रेस ने सेना के सम्मान को तार तार किया है। तीन मूर्ति भवन तो आपने सुना ही होगा... यह 1930 में बन कर तैयार हुआ था... इसका नाम था फ्लैग स्टाफ हाउस... जिसे तत्कालीन भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ के लिए बनाया गया... यानी तब के सेना अध्यक्ष के लिए। और जैसे ही आजादी मिली... नेहरू जी धड़धड़ाते हुए इस 30 एकड़ के विशाल भवन में घुस गए और इसे अपना घर बना लिया... सेना को तुरंत बाहर निकाल दिया गया। उसके बाद यहाँ नेहरू मेमोरियल बना दिया, प्लेनेटरियम बना दिया, लाइब्रेरी बना दी, म्यूजियम बना दिया... कुल मिलाकर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया। वो तो भला हो मोदी का... जिन्होंने इस सम्पत्ति को नेहरू गाँधी परिवार के चंगुल से निकाला... और इसे अब प्रधानमंत्री संग्रहालय बना दिया गया है... जहाँ सभी प्रधानमंत्रियों के काम के बारे में बताया जाता है। आजादी के पहले हमारे देश के जितने भी सैनिक मारे गए थे युद्ध में... उनके लिए इंडिया गेट बनाया गया था... लेकिन उसके बाद बलिदान हुए सैनिकों के लिए कुछ नहीं था... 50-60 के दशक से ही सेना एक वॉर मेमोरियल बनाने की मांग करती आई थी... जिसे कांग्रेस सरकार ने कभी नहीं माना। इस काम के लिए भी मोदी जी ही आगे आये और वॉर मेमोरियल बनवाया। हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी तो सेना को कभी चाहते ही नहीं थे... उनके हिसाब से भारत जैसे शांतिप्रिय देश को सेना नहीं चाहिए... इतना भारी भरकम खर्च नहीं करना चाहिए... उनकी इसी सोच के कारण उनके सेना के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे। आजादी के बाद भारतीय सेना का नेतृत्व करने के लिए तीन बड़े अफसर तैयार थे... जिनमें से एक थे तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल करियप्पा... लेकिन नेहरू जी ने चुना था जनरल रॉय बुचर को... जो जनवरी 1949 तक भारतीय सेना के चीफ रहे। भारत के फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ भी नेहरू जी ने कोई अच्छा व्यवहार नहीं किया। जब 1947-48 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई हुई तो नेहरू जी UN पहुंच गए, जबकि 2-3 दिन और लड़ाई चलती तो POK, गिलगित बल्टीस्तान भारत के पास होते। जब तत्कालीन जनरल करियप्पा ने इस बारे में नेहरू जी से पूछा, तो उन्हें दुनिया जहाँ की राजनीति का ज्ञान मिला। 1951 में जब NEFA, जिसे हम अरुणाचल प्रदेश के नाम से जानते हैं... वहाँ कुछ चीनी सैनिक पकड़े गए थे, जिनके पास से कुछ आपत्तिजनक नक़्शे और जानकारियां मिली थी... जनरल करियप्पा ने यह बात जब नेहरू जी को बताई... तो उन्हें यह कह कर चुप करा दिया गया, कि अब क्या तुम हमें बताओगे कि हम किसे अपना दोस्त समझें और किसे दुश्मन। यह सारी जानकारियां फील्ड मार्शल करियप्पा के बेटे एयर मार्शल केसी करियप्पा ने उनकी बायोग्राफी में लिखी हैं। नेहरू जी ने फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ बहुत खेल किये... उन्हें परेशान किया... उनकी सिफारिश नहीं मानते थे... और जब वह इस्तीफ़ा देने को कहते थे तो टाल मटोल करते थे। ऐसे ही नेहरू जी ने जनरल थिमैया जी के साथ किया... उन्हें गुस्सा हो कर इस्तीफ़ा देने को कहा... और कुछ ही घंटे बाद वापस लेने को कहा। 1962 के युद्ध में भी नेहरू जी ने अपने मनमुताबिक लोगों को युद्ध की अगुवाई करने को कहा... जनरल थापर... जो करण थापर के पिता हैं... और रोमिला थापर जिनकी भतीजी थी... उन्हें आगे बढ़ाया। और परिणाम क्या मिला, आपको पता ही है। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक दुनिया के बड़े रक्षा उत्पाद देशों में आता था... मित्र देशों के लिए हमारी आयुध कारखानों से हथियार बन कर जाते थे... लेकिन नेहरू जी और उनके मित्र रक्षामंत्री मेनन के अनुसार तो यह सब बेकार था... उन्होंने आयुध कारखानों में हथियार की जगह चीनी मिट्टी के बर्तन... छोटे मोटे उपकरण बनवाने शुरू किये और सेना से सम्बंधित चीजें, जैसे कपड़े, जूते, मोज़े तक बनाने बंद कर दिए... और जब 1962 में युद्ध हुआ, तो हमारे पास गोलियां नहीं थीं... सैनिकों के लिए कपड़े नहीं थे... सर्दी से बचाव के लिए कपड़े नहीं थे... जूते मोज़े तक नहीं थे। 1971 का युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे बड़े युद्ध में से एक था... और 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण करवाना तो बहुत बड़ा कारनामा था... जो आधुनिक इतिहास में अनूठा था। ऐसे कारनामें करने वाली आर्मी को मान सम्मान, पैसा मिलना चाहिए था... लेकिन मिला क्या?? आर्मी की OROP बंद कर दी गई। हमारे देश के हीरो, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को कई सालों तक सैलरी और अन्य भत्ते नहीं दिए गए... इन चीजों के लिए उन्हें लड़ना पड़ा... और बाद में उनकी मृत्यु से कुछ ही समय पहले उन्हें यह पैसा दिया गया था। उनकी मृत्यु पर तत्कालीन केंद्रीय सरकार ने एक रक्षा राज्यमंत्री को भेजा... अन्य कोई मंत्री नहीं गया था... उनके अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और यहाँ तक की तीनों सशस्त्र बल चीफ में से कोई नहीं गया। मानेकशॉ जी हमारे देश के सबसे बड़े हीरो में से एक रहे हैं... उनका कैसा सम्मान किया वो आप देख लीजिये। राजीव जी तो और भी आगे निकले... कहा जाता है कि भारतीय शांति रक्षा सेना को अपने अहंकार संतुष्टि के लिए श्रीलंका भेज दिया... कश्मीर जैसे ऊँचे इलाके और मैदानी इलाकों में तैनात सैनिकों को रातों रात जाफना के घने अँधेरे जंगलों में भेज दिया गया... वो भी गुरिल्ला आतंकवादियों LTTE से लड़ने के लिए। कभी समय हो तो जाफना विश्वविद्यालय हेलिड्रॉप के बारे में पढ़ियेगा... माना जाता है कि बिना किसी तैयारी और बेकार ख़ुफ़िया तंत्र के कारण हमारे 36 सैनिक मारे गए। जब हमारे सैनिकों को हेलीकाप्टर से जाफना विश्वविद्यालय में ड्रॉप किया गया... तब तक उन्हें चारों तरफ से घेर लिया गया था... और उसके बाद LTTE वालों ने उन्हें गोलियों से छिन्न भिन्न कर दिया था... एक एक सैनिक के शरीर में पचासों गोलियाँ पाई गईं थीं... इसी से समझ लीजिये यह कैसा ऑपरेशन हुआ होगा। कारगिल युद्ध से पहले तो हमारे सैनिकों के शव वापस घर भेजने की व्यवस्था ही नहीं होती थी... डेड बॉडी के दर्शन नहीं होते थे परिवार को। कारगिल युद्ध में पहली बार यह सुनिश्चित किया गया कि बलिदान हुए सैनिकों के परिवारों को उनकी डेड बॉडी तो मिलें... साथ ही कारगिल युद्ध के बाद ही मृत सैनिकों के परिवारों के लिए क्षतिपूर्ति रकम बढ़ाई गई... कई तरह की सहूलियत दी गई... बच्चों के लिए स्कूल कॉलेज में आरक्षण आदि दिया गया... परिवार को पेट्रोल पंप देने की व्यवस्था की गई। इस रकम को मोदी सरकार के आने के बाद और बढ़ाया गया। कांग्रेस को पसंद नहीं था कि मृत सैनिकों के शव उनके परिवारों को मिले... इसलिए कांग्रेस ने ताबूत घोटाले का हौवा खड़ा कर दिया... जॉर्ज फर्नांडिस जैसे बेहद ईमानदार नेता पर लांछन लगाया... और वह कई साल इस दाग़ को मिटाने के लिए लड़ते रहे... अंततः सुप्रीम कोर्ट ने सारे आरोप नकारे... लेकिन तब तक फर्नांडिस जी शारीरिक रूप से अक्षम हो चुके थे... उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था... वह अपने ऊपर लगे इस दाग़ को मिटने की ख़बर को समझे बिना ही दुनिया से चले गए। भारतीय सेना के CAOS को गली का गुंडा कहने वाला भी एक कांग्रेसी नेता ही था... शीला दीक्षित का बेटा संदीप दीक्षित। CAOS वीके सिंह को बदनाम करने वाले... और उन पर तख्तापलट करने का आरोप लगाने वाले भी कांग्रेस इकोसिस्टम के लोग थे। उरी की सर्जीकल स्ट्राइक, बालाकोट की सर्जीकल स्ट्राइक का पाकिस्तान से ज्यादा मजाक कांग्रेस वालों ने ही उड़ाया। चीन के साथ कभी भी झड़प होती है... तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम भारतीय सेना को बदनाम करने के लिए खड़ा होता है। कोई कहता है चीन 1000 किलोमीटर अंदर आ गया... कोई कहता है हमारे जवान निकम्मे हैं। हमारे देश के प्रथम CDS, जनरल बिपिन रावत का अपमान करने वाले कांग्रेस के ही लोग थे... उनकी मृत्यु पर हंसने वाले भी उसी इकोसिस्टम के लोग थे। मोदी ने और CDS जनरल रावत ने मिलकर मेक इन इंडिया पर जोर दिया... जितने भी हथियार दूसरे देशों से लिए, सब गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील में लिए... और जो लिए उन्हें भारत में ही उत्पादन करने और तकनीक के हस्तांतरण की शर्त के साथ लिया। यही कारण था कि कांग्रेस वाले CDS रावत जी से चिढ़ते थे। OROP के लिए सेना 1971 से इसी कांग्रेस सरकार से लड़ रही थी... 2014 में जब इन्हें लगा कि अब सरकार नहीं बनेगी... तब सेना के लोगों को रिझाने के लिए चुनाव से पहले OROP के लिए मात्र 500 करोड़ रुपए आवंटित करके गए थे मनमोहन सिंह जी। जबकि 500 करोड़ में तो कुछ नहीं होता...जब मोदी जो ने OROP लागू किया... तो पुराने बकाये के रूप में 10,000 करोड़ रुपए की रकम लाखों पेंशनर्स को दी गई थी... उसके बाद हर साल 7-8 हजार करोड़ का सालाना खर्च सिर्फ OROP पेंशन में होता है। और कांग्रेस 500 करोड़ का लॉलीपॉप दिखा कर सैनिकों के वोट खरीदना चाहती थी... है ना कमाल की बात। और आज यही कांग्रेस वाले सेना के सम्मान की बात करते हैं... खैर कांग्रेस से ज्यादा तो हमारे देश के लोग कमाल हैं... जिन्हें यह सब पता होते हुए भी शर्म नहीं आती... और अपने छोटे मोटे स्वार्थ के लिए बिक जाते हैं।
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  • Tone down

    अमेरिका का बड़ा बयान !

    "पुतिन को अगर कोई युद्ध रोकने के लिए मना सकता है तो वो मोदी हैं।

    व्लादिमीर पुतिन केवल नरेंद्र मोदी की बात ही मानेंगे।

    नरेंद्र मोदी के कहने पर व्लादिमीर पुतिन युद्ध रोक सकते हैं।

    हम भारत से हमेशा अच्छे संबंध चाहते, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, ये भारत का आंतरिक मामला है कि वो रूस से संबंध रखते हैं या चीन।"

    : मैथयू मिलर, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय, अमेरिका
    Tone down अमेरिका का बड़ा बयान ! "पुतिन को अगर कोई युद्ध रोकने के लिए मना सकता है तो वो मोदी हैं। व्लादिमीर पुतिन केवल नरेंद्र मोदी की बात ही मानेंगे। नरेंद्र मोदी के कहने पर व्लादिमीर पुतिन युद्ध रोक सकते हैं। हम भारत से हमेशा अच्छे संबंध चाहते, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, ये भारत का आंतरिक मामला है कि वो रूस से संबंध रखते हैं या चीन।" : मैथयू मिलर, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय, अमेरिका
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  • भारत-रूस शिखर सम्मेलन से संयुक्त बयान के मुख्य बिंदु:

    🔥 रूस ने पुनर्गठित और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की उम्मीदवारी का समर्थन किया।
    🔥 संयुक्त राष्ट्र एजेंडे के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर मास्को और नई दिल्ली के समन्वय के लिए सुरक्षा परिषद में भारत की उपस्थिति एक अवसर प्रदान करती है।
    🔥 रूस और भारत समान और अविभाज्य क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना के निर्माण के प्रयासों को बढ़ावा देंगे।
    🔥 पुतिन और मोदी को विश्वास है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई व्यापक और प्रभावी होगी।
    🔥 पुतिन और मोदी ने सुरक्षा संवाद के महत्व को दोहराया।
    🔥 जटिल और अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति में रूस-भारत संबंध स्थायी बने रहेंगे।
    🔥 रूस और भारत संयुक्त सैन्य सहयोग गतिविधियों की संख्या बढ़ाएंगे और सैन्य-से-सैन्य आदान-प्रदान का विस्तार करेंगे।
    🔥 रूस और भारत ऊर्जा, विशेषकर परमाणु और तेल परिशोधन क्षेत्रों में सहयोग के विकास को प्राथमिकता देंगे।

    🔸️ रूस और भारत ने यूक्रेन में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए मध्यस्थता के प्रस्तावों पर ध्यान दिया।
    🔸️ रूस और भारत G20, BRICS, SCO के भीतर प्रमुख मुद्दों पर बातचीत जारी रखेंगे।
    🔸️ रूस और भारत राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग के माध्यम से निपटान प्रणाली का विकास करेंगे।
    🔸️ रूस और भारत द्विपक्षीय व्यापार में गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को समाप्त करने की कोशिश करेंगे।
    🔸️ पुतिन और मोदी जी ने शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति, पर्यटन, खेल में रूस और भारत के बीच बातचीत का विस्तार करने पर सहमति जताई।

    🔥 मोदी जी ने अगले वर्ष पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया।

    प्रधानमंत्री .@narendramodi जी ने सफल रूसी दौरे के बाद वियना, ऑस्ट्रिया के लिए प्रस्थान किया है।
    भारत-रूस शिखर सम्मेलन से संयुक्त बयान के मुख्य बिंदु: 🔥 रूस ने पुनर्गठित और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की उम्मीदवारी का समर्थन किया। 🔥 संयुक्त राष्ट्र एजेंडे के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर मास्को और नई दिल्ली के समन्वय के लिए सुरक्षा परिषद में भारत की उपस्थिति एक अवसर प्रदान करती है। 🔥 रूस और भारत समान और अविभाज्य क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना के निर्माण के प्रयासों को बढ़ावा देंगे। 🔥 पुतिन और मोदी को विश्वास है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई व्यापक और प्रभावी होगी। 🔥 पुतिन और मोदी ने सुरक्षा संवाद के महत्व को दोहराया। 🔥 जटिल और अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति में रूस-भारत संबंध स्थायी बने रहेंगे। 🔥 रूस और भारत संयुक्त सैन्य सहयोग गतिविधियों की संख्या बढ़ाएंगे और सैन्य-से-सैन्य आदान-प्रदान का विस्तार करेंगे। 🔥 रूस और भारत ऊर्जा, विशेषकर परमाणु और तेल परिशोधन क्षेत्रों में सहयोग के विकास को प्राथमिकता देंगे। 🔸️ रूस और भारत ने यूक्रेन में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए मध्यस्थता के प्रस्तावों पर ध्यान दिया। 🔸️ रूस और भारत G20, BRICS, SCO के भीतर प्रमुख मुद्दों पर बातचीत जारी रखेंगे। 🔸️ रूस और भारत राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग के माध्यम से निपटान प्रणाली का विकास करेंगे। 🔸️ रूस और भारत द्विपक्षीय व्यापार में गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को समाप्त करने की कोशिश करेंगे। 🔸️ पुतिन और मोदी जी ने शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति, पर्यटन, खेल में रूस और भारत के बीच बातचीत का विस्तार करने पर सहमति जताई। 🔥 मोदी जी ने अगले वर्ष पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री .@narendramodi जी ने सफल रूसी दौरे के बाद वियना, ऑस्ट्रिया के लिए प्रस्थान किया है।
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