आधुनिक विज्ञान ब्रह्मांड में अभी तक १० लाख आकाश गंगाओं का पता लगा पाया है !

प्रत्येक आकाशगंगा में १०० लाख तारे हैं , जिनकी गणना प्रकाशपुंज की लंबाई के आधार पर विज्ञान ने की है !

ब्रह्मांड में कुल कितनी आकाश गंगाएं हैं , बताने में विज्ञान समर्थ नहीं है !

यद्यपि आध्यात्मिक अवधारणाओं में " हरि अनंत हरि कथा अनंता " और " नेति नेति " कह कर ब्रह्मांड की विराटता को व्यक्त किया गया है !

ऋषि मुनियों ने समय को नापा और ज्योतिष ने सृष्टि प्रारंभ होने से लेकर आज तक के समय की गणना १९४ करोड़ वर्ष की है !

ब्रह्मांड की असली आयु की खोज अभी जारी है !

हमारे यहां काल की गणना युग , चतुर्युग , मन्वंतर और कल्प आदि के आधार पर निर्धारित कर की गई है । इसके अनुसार कलयुग की आयु ही चार लाख वर्षों से अधिक है । द्वापर की आठ लाख , त्रेता की बारह लाख और सतयुग की अठारह लाख वर्षों से अधिक है ।

मतलब कलयुग बेशक करीब पांच हजार वर्ष पुराना हुआ हो , त्रेता का रामयुग तो आठ लाख वर्ष आयु से पहला है । राम को अवतरित हुए और गंगा को धरती पर आए कम से कम आठ लाख वर्ष तो बीत ही गए । तब बड़ा आश्चर्य होता है जब आज के विद्वान राम के त्रेता युग को मात्र सात हजार वर्ष पुराना बताकर प्रचारित करते हैं ? इन विद्वानों में कुछ प्रवक्ता भी शामिल हैं । यह मजाक तो नासा भी स्वीकार नहीं करता और राम सेतु को ही लाखों वर्ष पुराना बताता है । फिर हम राम की प्राचीनता को मात्र सात हजार वर्ष बताकर क्या साबित करना चाहते हैं ?

जीव वैज्ञानिकों के अनुसार करोड़ों वर्ष पुराने फॉसिल्स मिले हैं । धरती पर डायनासोर को लुप्त हुए छह करोड़ वर्ष बीत गए । हिमालय और आल्प्स पर्वतों की बर्फ में मिले जीवाश्म मनुष्य की विकासवाद की कहानी बताते हैं । डार्विन की जीवन विकासवाद की थ्योरी विकास की यही कहानी बयां करती है । विज्ञान ने हमारी प्राचीनता के बारे में बहुत कुछ खोजा । हमारा चिंतन , दर्शन और अध्यात्म भी वही कहता है जो आज विज्ञान कहता है ।

 बड़ा गुस्सा आता है जब लोग भारत की संस्कृति को कुल सात हजार वर्ष पुरानी बताते हैं । यह अज्ञान है । देश को फर्जी इतिहास के इसी मायाजाल को विखंडित कर बाहर निकलना होगा ।

देश में इस समय उस भ्रम को तोड़ने का काम हो रहा है जो गलत इतिहास पढ़ाकर फैलाया गया । इतिहास को मुगलों ने बदला , मैकाले के वंशजों ने बदला , कम्युनिस्टों ने बदला , अर्बन नक्सल्स ने बदला । गलत इतिहास पढ़ाने का प्रमाण है कि हमनें खुद पर और अपनी प्राचीन उपलब्धियों को अंधविश्वास बता दिया । हम आर्यभट्ट , वराहमिहिर , कणाद , चरक , पातंजल जैसे वैज्ञानिकों को भूल गए । वे कब से बता चुके हैं कि हमारा ब्रह्मांड अनंत है , जिसमें अरबों आकाश गंगाएं और खरबों तारे हैं । ऋषियों ने जो भी प्रतिपादित किया , वह विज्ञान ही तो है । अब नासा ने १० लाख आकाश गंगाएं बताई तो हमने विश्वास कर लिया , अपनी जानकारियों को अवैज्ञानिक बताकर खारिज कर दिया । 

यही अज्ञान है , जिसे दूर करने का बीड़ा अब भारत सरकार ने उठा लिया है ।