फीफा वर्ल्ड कप U17 में आज झारखंड की 7 महिला खिलाड़ियों का चयन हुआ है। उसी में से एक अनिता कुमारी के घरबजाना हुवा। इरबा के पीछे एक छोटे से गाँव में उसका घर है। आधा घर खपड़ैल का है और आधा एस्बेस्टस का। अनिता की मां आशा देवी रेजा-कुली का काम करती है। पिता कुछ नहीं करते नशे में रहते हैं। आशा देवी अपने दम पर पांचों बेटी को लायक बनाई। 

उन्होंने अपने दम पर ही अभी 2 दिन पहले अनिता से बड़ी बहन की शादी की है। सब मिलाकर करीब 4 लाख रुपये का कर्ज हो गया है। 5 बेटी होने का ताना सुन-सुनकर आशा देवी के शरीर में सिर्फ हाड़ बचा है। लेकिन उसी हाड़ में एक गजब का जिगरा है। जिससे वह आज अपनी बेटी को फीफा वर्ल्ड कप भेज रही है। आशा देवी बताती हैं कि गाँव वाले बोलते थे बेटी जात है हाफ पैंट में फुटबॉल खेलने मत भेजो, जमाना ठीक नहीं। वह सब सुनकर सहते रही। गाँव के लोग फुटबॉल के मैदान में शीशा फेंक देते थे ताकि लड़कियां फुटबॉल नहीं खेल सके लेकिन आज परिणाम यह है सभी अनिता की उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहे हैं। 

अनिता की मां आशा हर दिन 50 रुपये ट्रेकर में भाड़ा देकर पीछे लटककर रांची काम करने आती है। वह रेजा-कुली का काम कर 300 रुपये कमाती है। उसके बाद देर शाम तक घर लौट जाती है। फिर घर जाने के बाद बड़ा सा डेकची माथा पर रखकर घर से दूर पानी लाने जाती है। ये हर दिन का रूटीन है। इतना संघर्ष होने के बाद भी आशा देवी कभी टूटी नहीं। 

यही वजह है कि वह बेटी को वीमेंस कॉलेज में पढ़ा रही हैं। अभी जिसकी शादी हुई वह बीए पास थी। अब दो बेटी बची है शादी के लिए। वह ज्यादा कुछ नहीं चाहती हैं। बस चाहती हैं कि एक पक्का का छत वाला घर हो जिसमें बारिश के दिन में भी सो सके और घर में पानी की व्यवस्था हो ताकि हर दिन पानी के लिए संघर्ष न करना पड़े। 

इस मां के संघर्ष को मेरा प्रणाम। 🙏